अमेठी। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी यहां के एमपी होने के नाते प्रदेशभर में ज़िले का नाम वीवीआईपी क्षेत्र के रूप में जुड़ता है। लेकिन ज़मीनी स्तर पर यहां की बदहाली उसको कलंकित कर रही है। राहुल गांधी विकास के नाम पर अब तक जहां प्रदेश सरकार को कोसते चले आ रहे हैं वहीं आलम यह है कि जो विकास हुआ है उसके पुरसा हाल न वो स्वयं हैं न उनके कारिंदे। यहां तिलोई में 12 साल पहले 15 लाख की लागत से बने बारात घर की बदहाली इस बात की सार्थक गवाह है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
राहुल बनाम स्मृति ईरानी की नूराकुश्ती में अटका विकास
आज पूरे अमेठी में राहुल बनाम स्मृति ईरानी की नूराकुश्ती की जंग चल रही है। केंद्र की मोदी सरकार द्वारा जब यहां एक ईंट रखी जाती है तो दोनों ओर से आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरु हो जाता है। केंद्रीय मंत्री यहां हो रहे विकास का सेहरा अपने सिर बांधना चाहती हैं वहीं दूसरी ओर अमेठी एमपी राहुल गांधी अमेठी को अपनी जागीर बनाए रखने की जुगत में रहते हैं। ऐसे में दोनों ही अपनी पोलिटिक्स चमकाने में जुटे रहते हैं और विकास रूपी पहिया ध्वस्त हो चुका है। नये विकास की बात तो दूर जो हो चुका है दोनों मिलकर उसे सजों तक नहीं पा रहे।
कूडा भवन बन गया है बारात घर
बानगी के तौर पर यहां तिलोई विधानसभा की ग्राम सभा बेरारा के पूरे तिवारी मे आज से लगभग 12 साल पहले बना बारात घर है। लेकिन ग्रामीणों के लिया बनाया गया ये बारात घर आज अपनी दूर दर्शा पर आशू बहा रहा है। जहां बारात तो आजतक नही रुक सकी इसलिए के इसका सही ढंग से देखभाल करने वाला कोई नहीं है।अब नतीजा ये है के लोग निसंकोच इस बरात भवन को कूडा भवन बना रखे है। क्षेत्र के वकील खान, राकेश, श्याम लाल, इरंशाद आदि लोगो का कहना है कि जब से ये बारात घर बना है कभी बरात नही रुकी। क्योंकि बरात रुकने मे लोगो को परेशानी होती है।यही नहीं बारात घर जाने को जो रास्ता है वह भी आसपास के लोग कब्जा कर रखे है। हद तो ये है के अब बारात घर कूडेदान बन गया है। लोगों का कहना है के कई बार शिकायत किया लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।
पल्ला झाड़ते नज़र आए अधिकारी
फिलहाल इस प्रकरण पर बीडीओ का कहना है कि बारात घर ग्राम पंचायत से जुड़ा मामला है इसलिए क्षेत्र पंचायत अधिकारी इसके ज़िम्मेदार हैं। रास्ते के कब्जे से लेकर सभी का निस्तारण उन्हें कराना चाहिए। वहीं एडीओ पंचायत राम मिलन ने कहा के अवैध निर्माण से लेकर अवैध कब्जेदारी तक की देखरेख ग्राम प्रधान के अधिकार में है, वो उसे रुकवाए या फिर बीडीओ से शिकायत करें। कुल मिलाकर दोनों अधिकारी एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराते हुए अपना पल्ला झाड़ते नज़र आए।
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