भारतीय संस्कृति में सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित माना जाता है। धर्मशास्त्रों के अनुसार, विशेष रूप से लिंग पुराण, शिव पुराण और स्कंद पुराण में वर्णित है कि सोमवार के दिन विधिपूर्वक शिव पूजन करने से न केवल भक्त के जीवन के दोष और कष्ट दूर होते हैं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का द्वार भी खुलता है।
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16 जून 2025 को आने वाला यह सोमवार ऐसे पूजन का उत्तम अवसर है जब व्यक्ति अपने तन, मन और वचन से भोलेनाथ की आराधना कर सकता है। आइए जानते हैं इस दिन की पूजा विधि, मंत्र, अभिषेक और आस्थाओं के बारे में विस्तार से।
ब्रह्म मुहूर्त से आरंभ करें दिन
ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 4:00 से 5:30 के बीच का वह समय होता है जब वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भरा होता है। इस समय उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और शिवजी का ध्यान करें। माना जाता है कि इस समय ध्यान व जाप करने से मन और चित्त दोनों निर्मल हो जाते हैं।
ध्यान के समय आप इन स्वरूपों का स्मरण करें:
• गंगाधर
• नीलकंठ
• अर्धनारीश्वर
• महाकाल
• विरूपाक्ष
इनमें से किसी भी रूप की मानसिक आराधना करते हुए ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करें।
महामृत्युंजय मंत्र: संकट हरता महामंत्र
भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु महामृत्युंजय मंत्र सबसे शक्तिशाली और फलदायी माना गया है। इस मंत्र के उच्चारण से रोग, भय, मृत्यु और मानसिक तनाव दूर हो सकता है:
ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्,
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार रुद्राक्ष की माला से करें। साथ ही 'ॐ नमः शिवाय', 'शिवाय नमस्तुभ्यं' आदि मंत्रों का उच्चारण भी मानसिक शांति देता है।
शिवलिंग का अभिषेक: श्रद्धा से चढ़ाएं पवित्रता की धार
शिवलिंग का अभिषेक करना सोमवार के दिन विशेष पुण्यफल देने वाला होता है। आप निम्न सामग्रियों से अभिषेक कर सकते हैं:
गंगाजल: पवित्रता का प्रतीक
पंचामृत: गाय का दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल
सादा जल: कम संसाधनों में भी श्रेष्ठ
रुद्राभिषेक: रुद्रसूक्त के साथ, विशेष कर्मकांडियों द्वारा
स्मरण रखें: अभिषेक के साथ-साथ ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करते रहें। जल या पंचामृत धीरे-धीरे शिवलिंग पर चढ़ाएं और हृदय से क्षमा मांगे।
ये वस्तुएं विशेष प्रिय हैं शिव को
शिव भक्तों को ज्ञात होना चाहिए कि भगवान शिव को कुछ वस्तुएं विशेष रूप से प्रिय हैं, जिन्हें अर्पित करने से मनोकामना शीघ्र पूर्ण हो सकती है:
बिल्वपत्र (बेलपत्र): त्रिपत्री और त्रिफल युक्त
भस्म: शिव की वैराग्य भावना का प्रतीक
धतूरा और आक का पुष्प: विषयुक्त होते हुए भी प्रिय
भांग: शिव के ध्यान स्वरूप का अंग
सफेद पुष्प और रुद्राक्ष
इन सामग्रियों को शिवलिंग पर अर्पण करें और अंत में घी का दीपक जलाकर आरती करें।
सोमवार व्रत की महिमा
यदि आप सोमवार व्रत रखते हैं तो पूजा के उपरांत सोमवार व्रत कथा का श्रवण या पाठ अवश्य करें। यह कथा माता पार्वती के तप और शिव विवाह की कथा है, जो समर्पण और प्रेम का संदेश देती है। व्रत करने से मन की स्थिरता और इच्छाशक्ति दोनों में वृद्धि होती है।
ध्यान रखें: व्रत के दिन सात्विक आहार लें, क्रोध या तामसिक भावों से दूर रहें और यथासंभव मौन रखें।
जब सामग्री उपलब्ध न हो
यदि आपके पास पूजन सामग्री नहीं है, तो भी निराश होने की आवश्यकता नहीं। महादेव के लिए भाव ही सबसे बड़ा साधन है। आप केवल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें, दीप जलाएं, और शांतचित्त होकर 'ॐ नमः शिवाय' का जाप करें। केवल मानसिक पूजा भी पूर्ण फलदायी मानी जाती है।
शिव पूजन एक साधना, एक अनुभूति
सोमवार का दिन केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि आत्मिक विशुद्धि का अवसर है। शिवजी केवल उपासना नहीं, बल्कि समर्पण और मौन की ऊर्जा के देवता हैं। जब आप उन्हें श्रद्धा और निष्ठा से स्मरण करते हैं, तब वह आपके मन, जीवन और कर्मों को सकारात्मक दिशा प्रदान करते हैं।
इस सोमवार आप भी इन विधियों से शिवजी का पूजन करें और अनुभव करें उनके आशीर्वाद का साक्षात प्रभाव। कष्ट कटेंगे, राहें बनेंगी और मन को शांति मिलेगी।
डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई धार्मिक जानकारियां मान्य ग्रंथों व परंपराओं पर आधारित हैं। किसी भी विशेष अनुष्ठान या मंत्रों को अपनाने से पूर्व विद्वान आचार्य की सलाह लेना उचित होगा।
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