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निवाई उपखंड के 50 से अधिक गांव लो वोल्टेज से बेहाल, ग्रामीणों में भारी आक्रोश
khaskhabar.com: रविवार, 15 जून 2025 9:57 PM
निवाई। जिले के निवाई उपखंड की दतवास उप-तहसील के 50 से अधिक गांव इन दिनों भीषण गर्मी में लो वोल्टेज की गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं। हालात इतने बदतर हैं कि बिजली होने के बावजूद पंखे नहीं चलते, और कूलर सिर्फ शोपीस बनकर रह गए हैं।
ग्रामीणों का आरोप है कि जब से निवाई की 33 केवी (KV) सप्लाई हटाकर बिजली को सवाईमाधोपुर से जोड़ा गया है, तब से बिजली की हालत और बिगड़ गई है।
ग्रामीणों का कहना है कि पहले वोल्टेज ठीक रहता था, लेकिन अब यह 158 वोल्ट तक गिर गया है।
दतवास निवासी मुकेश सोनी ने जब मीटर से वोल्टेज मापा, तो यह चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया, जिससे वे भी शर्मिंदा हुए।
दतवास, करेड़ा बुजुर्ग, तुर्किया, लुणेरा, कुरावदा, सीपुरा, मोटूका, कायमनगर, हिंगोनिया, जगसरा, बीड़, महाराजपुरा, दराबनगर जैसे गांवों में बिजली नाम की चीज़ सिर्फ बिजली के बिल में ही दिखती है। घरों में महिलाएं तपती रसोई में पसीने से तरबतर हैं, बच्चे बिना पंखे के सोने को मजबूर हैं, और बुजुर्गों का ब्लड प्रेशर बढ़ रहा है।
ग्रामीणों का आरोप है कि इस गंभीर समस्या पर प्रशासन चुप्पी साधे हुए है।
हर साल गर्मी में बिजली की यही कहानी दोहराई जाती है। इस बार भी बिजली विभाग के अफसरों ने वही घिसा-पिटा जवाब दिया है कि "जांच चल रही है, जल्द सुधार होगा।" ग्रामीणों का कहना है कि अफसरों की ये संतोषजनक प्रतिक्रियाएं "चूल्हे में भूसे की तरह हैं, जिनसे कुछ नहीं पकता।"
ग्रामीणों का मानना है कि 33 केवी सप्लाई हटने के बाद से इन गांवों की किस्मत ही फिसल गई है। पहले जहां वोल्टेज मजबूत था, अब घुटनों के बल रेंग रहा है। सरकार 'हर घर रोशन' होने की बात करती है, लेकिन यहां तो लोगों को मोमबत्ती से रोशनी करनी पड़ रही है। बिजली नहीं आती, लेकिन बिल पूरा 240 वोल्ट का आता है।
ग्रामीणों का आरोप है कि बिजली विभाग ने जैसे लो वोल्टेज का एक अभियान चला रखा है, और हर गांव तक इसकी पहुंच सुनिश्चित की जा रही है। लोगों का गुस्सा अब उबाल पर है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर दो दिन में इस समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो उन्हें सड़कों पर उतरकर आंदोलन करना पड़ेगा। तब शायद एसी कमरों में बैठे अफसरों को समझ आएगा कि पसीना सिर्फ मेहनत से नहीं, गर्मी से भी बहता है।
ग्रामीणों ने राज्य सरकार से मांग की है कि विकास की बत्ती जलाने से पहले गांवों की वोल्टेज रीडिंग देखी जाए, वरना हालात तारों की तरह तने रहेंगे और चुप्पी की जगह चिंगारी बन जाएगी।
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