पवन शर्मा,मथुरा।अभिनेत्री हेमा मालिनी को मथुरा की जनता ने इसलिए चुना था कि जो काम अब तक कोई भी नेता और कोई भी पार्टी ने नहीं किया, वो काम शायद वो करेंगी। मथुरा से सांसद बनने के बाद हेमा मथुरा में आती जरूर हैं लेकिन यहाँ की मूल समस्या को वो भी दूर नहीं कर पायी हैं,
मथुरावासियों के लिए सबसे बड़ी समस्या है यहाँ का पानी में खारा पन होना।
सांसद हेमा के गोद लिया गाँव का है क्या हाल ? मथुरा की सांसद हेमा मालिनी ने सांसद बनने के बाद राधा रानी की जन्मस्थली रावल को गोद लिया था। लेकिन इस गाँव में बहुत बुरा हाल है। रावल गांव के निवासी गोपाल का कहना है कि हेमा जब से सांसद बनी हैं गाँव में आयी नहीं है। अगर आती हैं तो कार में बैठी ही रहती हैं, उतरती नहीं हैं। रावल गाँव की सबसे बड़ी समस्या है पानी। यहाँ का पानी खारा होने की वजह से कई किलो मीटर दूर से पानी लेकर आना पड़ता है।
गाँव में मीठे पानी की किल्लत
हेमा, आरओ केंट का विज्ञापन छोड़ो, रावल को मीठे पानी से जोड़ो शेलू लक्ष्मी का कहना है कि हेमा ने RO तो लगवा दिया है लेकिन RO का कोई भी फायदा नहीं है। उनका ये भी कहना है कि RO लगभग 2 महीने से ख़राब पड़ा है लेकिन इसकी सुध लेने वाला कोई भी नहीं है। न हेमा सुनती हैं और ना ही कोई अधिकारी। कई बार RO ख़राब पड़ा है। सभी से शिकायत भी कर ली, कोई नहीं सुनता। इनका यह भी कहना है कि हेमा केंट RO का विज्ञापन तो टीवी में दे रही हैं लेकिन इनके गोद लिए गाँव में ही खारा पानी है।
रावल गांव में कब आयेगा मीठा पानी? गांव में खारे पानी की वजह से काफी समस्याएं हैं। खारे पानी से ही कपड़े धोने पड़ते हैं। इसके चलते वे जल्दी खराब हो जाते हैं। खेतों में भी फसल ठीक से नहीं होती हैं। आसपास भी खारा पानी ही है। यमुना के किनारे कुछ मीठा पानी है, वहीं से गांव की औरतें पानी लाती हैं। गांव के कुछ लोगों का कहना है कि खारे पानी की वजह से घर का सीमेंट छूटने लगता है। कुछ ही सालो में घर की हालात ऐसी हो जाती है मानो कि पुराने समय में बना हुआ घर हो।
खारे पानी ने बिगाड़ी मथुरावासियों की सेहत खारे पानी ने मथुरा की सेहत बिगाड़ कर रख दी है। लंबे समय से ही मथुरा में खारा पानी बना हुआ है। दूर-दूर तक यहां मीठा पानी नहीं मिलता। यहां के लोगों को परेशानी का सामना करना पढ़ रहा है। इसलिए तड़के ही महिलाएं मीठे पानी के लिए निकल पड़ती हैं। लेकिन मथुरा की सबसे बड़ी समस्या पर किसी भी नेता और राजनैतिक दलो का कोई ध्यान नहीं है। यहां के नेता सभाओं में पानी का मुद्दा जोरशोर के साथ उठाते हैं। वहीं, चुनाव होने के बाद सब कुछ भूल जाते हैं।
हेमा मालिनी नहीं सुनती गांववालों की लोगों का कहना है कि सांसद हेमा मालिनी ने तो कभी इस तरफ ध्यान ही नहीं दिया। पानी की किल्लत से जूझ रहा यह इलाका सबसे घनी आबादी बाला है। शहर से सटे गांवो किसानों को अपनी फसलों की सिंचाई के लिए भी मीठा पानी नहीं मिल पा रहा है। बिजली का तो कहना ही क्या। कभी दो घंटे मिल गई तो कभी तीन घंटे। किसान परेशान हैं। लोगों से बात की तो सभी बोले कि विकास के नाम पर धोखा दिया जा रहा है।
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