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जेडीए आयुक्त को दिए निर्देश- मुआवजे में विकसित जमीन देने की फाइलें बतौर जेडीए चेयरमैन उन तक नहीं भेजी जाएं, लेकिन अब तक जो घोटाले हुए क्या उनकी जांच होगी
जयपुर। जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) में सेक्टर सड़कों के नाम पर हुए भ्रष्टाचार के बाद नगरीय विकास, आवासन एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने अब बतौर मुआवजा दी जाने वाली जमीनों के आवंटन से हाथ खींच लिए हैं। धारीवाल ने नए जेडीए आयुक्त जोगाराम को निर्देश दिए हैं कि लैंड फॉर लैंड के मामले बतौर जेडीए चेयरमैन मंजूरी के लिए उनके पास नहीं भेजे जाएं। बल्कि मैरिट के आधार पर जेडीए खुद ऐसे मामलों का फैसला करे।
बता दें कि आवासीय और अन्य प्रोजेक्टों के लिए अवाप्त की जाने वाली भूमि के बदले 20 प्रतिशत आवासीय और 5 प्रतिशत व्यावसायिक विकसित भूमि संबंधित खातेदारा किसानों को दिए जाने का प्रावधान है। जेडीए में पिछले काफी दिनों से सेक्टर रोड के लिए सस्ती भूमि समर्पित करवाकर दलालों के माध्यम से करोड़ों रुपए के बेशकीमती भूखंड आवंटित कर दिए गए थे। इसमें निजी डेवलपर अशोक अग्रवाल का नाम पूरे जयपुर में चर्चित है।
खास खबर डॉट कॉम ने 18 मई, 2023 को ही यह मामला उजागर किया था। लेकिन, अब सवाल यह है कि अब तक सेक्टर सड़कों के नाम पर करोड़ों रुपए के भूखंड नियम विरुद्ध आवंटित कर दिए गए हैं, क्या गहलोत सरकार उनकी जांच कराएगी।
रात 9 बजे बाद खुलता था जेडीएः
जेडीए सूत्रों की मानें तो अशोक अग्रवाल के लिए आय़ुक्त और उनका कार्यालय रात 9 बजे बाद भी काम करता था। जबकि दिन में सैकड़ों लोग घंटों इंतजार करने के बावजूद जेडीए आयुक्त से मिले बिना ही मायूस होकर लौट जाते थे। जेडीए के लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जेडीए आयुक्त का तबादला करके इस संस्था को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने का मैसेज दिया है। लेकिन, क्या सरकार सेक्टर सड़कों में हुए भ्रष्टाचार की जांच करवाएगी? क्योंकि सेक्टर सड़क तो अभी एक किलोमीटर भी नहीं बनी। जेडीए ने दलालों के माध्यम से करोड़ों रुपए के प्लॉट अलॉट कर दिए हैं।
अफसरों ने दलालों के संग मिल उड़ाई एसओपी की धज्जियांः
जेडीए सूत्रों की मानें तो जोन संख्या 10, 11, 12, 13, 14 जो अजमेर रोड से फागी रोड, फागी रोड से टोंक रोड और टोंक रोड से दिल्ली रोड के बीच का क्षेत्र है। इसमें जमीनों के भाव आसमान छू रहे हैं। वर्ष 2021 में तत्कालीन आयुक्त गौरव गोयल ने सेक्टर सड़कों के महत्व को देखते हुए विस्तृत एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिव प्रॉसीजर) अधिसूचित की थी। इसमें सेक्टर सड़कों की प्राथमिकता औऱ सेक्टर रोड में आने वाली भूमि के बदले दी जाने वाली जमीन किस जगह दी जा सकती है, की पूरी रूपरेखा और नियम जेडीए की उच्चाधिकार समिति ने जारी किए थे। लेकिन, पिछले जेडीए आयुक्त और अफसरों ने प्राइवेट डवलपर (दलाल) अशोक अग्रवाल के साथ मिलकर इस एसओपी की धज्जियां उड़ा दीं।
जैसे रिंग रोड के बाहर जोन सीमा में सेक्टर रोड की प्राथमिकता जेडीए के बजाय दलालों ने तय की।
इसके तहत जेडीए ने समर्पित भूमि जो रिंग रोड से 6-7 किलोमीटर दूर U-3 जोन या रिंग रोड के अंदर U-1 जोन में हाइटेंशन लाइन के नीचे थी। ऐसी जमीन को समर्पित करवाकर बदले में कई गुना ज्यादा कीमत वाले करोड़ों रुपए के महंगे प्लॉट अलॉट कर दिए गए। जबकि एसओपी की चेक लिस्ट के बिंदु संख्या 26 में साफ़ लिखा है कि समर्पित और आवंटित की जाने वाली भूमि समतुल्य अर्थात इनकी बजार दर समान होनी चाहिए।
अवाप्त भूमि के बदले 25 प्रतिशत विकसित भूमि देने का है नियमः
सेक्टर सड़कों में आ रही भूमि के बदले 25 प्रतिशत (20 प्रतिशत आवासीय और 5 प्रतिशत व्यावसायिक) विकसित भूमि आवंटित करने के आदेश जेडीए ने वर्ष 2003 में जारी किए थे। इसका उद्देश्य सेक्टर सड़कों में मिसिंग लिंक वाली भूमि का अधिग्रहण करना था। लेकिन, जेडीए अधिकारियों ने दलालों से मिलकर इसका उद्देश्य ही बदल दिया। यानि अगर जो भूमि अधिग्रहित की जानी है, वह जोन में किसी भी, कहीं भी सेक्टर सड़क सीमा में है। चाहे वह सेक्टर सड़क अभी बननी है या नहीं बननी है। चाहे वह विकास वाले क्षेत्र से गुजर रही है अथवा 20 साल बाद गुजरेगी। लेकिन, ऐसी भूमि को आप अभी जेडीए को समर्पित कर सकते हैं। बदले में करोड़ों रुपए की बाजार दर वाली भूमि उसी क्षेत्र में कहीं भी प्राप्त कर सकते हैं। हालांकि नियमों में ऐसा कहीं नहीं है। फिर भी इसका फायदा सर्वाधिक नामी-गिरामी प्राइवेट डेवलपर अशोक अग्रवाल ने सबसे ज्यादा उठाया है। तत्कालीन जेडीए आयुक्त और जोन उपायुक्तों के यहां उनकी नियमित उपस्थिति जेडीए में अब तक चर्चा का विषय बनी हुई है।
ऐसे हुआ सेक्टर सड़कों में खेलः
उदाहरण के तौर पर अगर आपकी जमीन ग्राम मोहब्बतपुरा या बासड़ी जोगियान में शहर से 25 किलोमीटर दूर है और सेक्टर सड़क सीमा में आ रही है। वहां डीएलसी दर 6000 रुपए प्रति वर्गमीटर और बाजार दर 40 लाख रुपए बीघा है। यानि 2500 वर्गमीटर जमीन के भाव 40 लाख रुपए हैं। अब आप अगर 1 बीघा यानि 2500 वर्गमीटर जमीन समर्पित करते हैं तो जेडीए आपको 25 प्रतिशत यानि 625 वर्गमीटर विकसित भूमि आवंटित करेगा। कायदे से यह जमीन मोहब्बतपुरा या बासड़ी गांव में ही सड़क के दोनों ओर प्रस्तावित व्यावसायिक भूमि ही आवंटित की जानी चाहिए थी। लेकिन, दलाल के माध्यम से यह जमीन जोन-14 में ही जिसकी सीमा फागी रोड़ से जगतपुरा तक है, में रिंग रोड के अंदर चोखी ढाणी के पास ग्राम जयचंदपुरा में आवंटित कर दी गई। जबकि सभी जानते हैं कि फागी रोड पर मोहब्बतपुरा, बासडी जोगियान और जगतपुरा की दरों में रात-दिन का अंतर है।
जमीनों के इस खेल को यूं समझिएः
कोई दलाल आखिर इतनी मेहनत क्यों करता है। इसे ऐसे समझेंः ग्राम मोहब्बतपुरा या बासड़ी जोगियान में डीएलसी दर 6000 रुपए प्रति वर्गमीटर और एक बीघा जमीन का भाव 40 लाख रुपए हैं। दलाल उसी जोन में ऐसा एरिया तलाश करता है जहां जमीन की डीएलसी दर 4000 से 5000 रुपए प्रति वर्गमीटर हों। लेकिन, अगर जगतपुरा एरिया में इतनी जमीन मिल रही है तो उसकी कीमत 40 लाख रुपए के बजाय 625 गुणा 5000 रुपए यानि 3 करोड 12 लाख रुपए से भी ज्यादा होती है। इसीलिए 20 प्रतिशत सुविधा शुल्क चुकाना होगा।
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