जयपुर। मौजूदा
समय में ब्रेन ट्यूमर बहुत तेजी से बढ़ रहा है। मगर उसके बावजूद भी इलाज
लेने वाले मरीजों की संख्या उतनी तेजी से नहीं बढ़ी। जितने मरीजों में ब्रेन
ट्यूमर का पता चलता है लगभग उसके आधे ही मरीज इलाज के लिए आगे जाते हैं।
इस बीमारी को लेकर अफवाहे और इस रोग के लक्षणों की जानकारी ना होने के कारण
आज अधिकांश रोगी उपचार से दूर है।
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यह कहना है भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल
एवं रिसर्च सेंटर जयपुर के न्यूरो ऑन्कोलोजिस्ट डॉ नितिन द्विवेदी का। डॉ
द्विवेदी ने कहा कि बताया कि इस वर्ष वर्ल्ड ब्रेन टयूमर डे की जो थीम रखी
गई है वह रखी गई है “यूनाइटिंग फॉर होप, एंपावरिंग ब्रेन ट्यूमर पेशेंट“।
यह थीम वास्तव में आज के समय के लिए समसामयिक भी है । ब्रेन ट्यूमर का मरीज
को जैसे ही पता लगता है कि उसके दिमाग में एक ट्यूमर पल रहा है, वह उसी
समय टूट जाता है। उसका कारण वही समाज में फैली हुई अवधारणाएं।
लक्षणों को ना करें अनदेखा, उपचार के लिए हो जागरूक
तेज
या लगातार रहने वाला सिरदर्द, चलने में परेशानी, तालमेल में समस्या,
मांसपेशियों में कमज़ोरी, रह-रहकर परेशानी होना, शरीर के एक तरफ़ कमज़ोरी, या
हाथों और पैरों की कमज़ोरी, चक्कर आना, उल्टी या मतली आना, चुभन महसूस करना
या स्पर्श कम महसूस होना, ठीक से बोलने और समझने में परेशानी या सुध-बुध
खोना, दौरे पड़ना, धुंधला दिखना, बेहोषी आना, बोलने में कठिनाई या
व्यक्तित्व में बदलाव। यह सभी लक्षण ब्रेन ट्यूमर से जुडे है।
66 फीसदी टयूमर कैंसर के नहीं
डॉ
नितिन द्विवेदी ने बताया कि लोग ब्रेन टयूमर के नाम से डरते हैं, लेकिन यह
टयूमर दूसरे टयूमर से बिल्कुल अलग होते है। जांच में 66 फीसदी टयूमर
सामान्य टयूमर होते है अतः वह कैंसर के नहीं होते है। 15 साल से कम उम्र के
रोगियों का सर्वाइवल रेट 75 फीसदी होता है। वहीं 15 से 39 उम्र के रोगियों
को में 72 फीसदी और 40 से अधिक उम्र के रोगियों में 21 फीसदी सर्वाइवल रेट
होता है।ऐसे में आज के समय में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है मरीज
को हौसला प्रदान करना, उसे इलाज लेने के लिए प्रेरित करना, उसके दुख दर्द
में शामिल होकर उसका हौसला बनाए रखना। अगर हम आज यह प्रतिज्ञा लेते हैं कि
हम सब एक होकर ब्रेन ट्यूमर के मरीजों को शक्ति प्रदान करेंगे तो इस बीमारी
का बोझ काफी हद तक कम हो जाएगा।
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