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दक्षिण सूडान: गृहयुद्ध को हर हाल में टालना, हमारी प्राथमिकता – UNMISS फ़ोर्स कमांडर

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दक्षिण सूडान में यूएन मिशन (UNMISS) के फ़ोर्स कमांडर लैफ़्टिनेंट जनरल मोहन सुब्रमण्यन ने सावधान किया है कि देश एक बेहद गम्भीर मानवीय व सुरक्षा संकट से जूझ रहा है और गृहयुद्ध फिर छिड़ने की आशंका प्रबल है. उन्होंने यूएन न्यूज़ के साथ एक विशेष बातचीत में बताया कि देश में हिंसक टकराव को फिर भड़कने को रोकना और आम नागरिकों की रक्षा सुनिश्चित करना, यूएन मिशन की सर्वोपरि प्राथमिकता है. (वीडियो)... लैफ़्टिनेंट जनरल मोहन सुब्रमण्यन ने बताया कि भ्रामक जानकारी व जानबूझकर ग़लत जानकारी फैलाए जाने, और हेट स्पीच के इस्तेमाल से लोगों को डराने के लिए अफ़वाहें उड़ाई जा रही हैं, और इसके मद्देनज़र, UNMISS ने देश की सरकार के साथ मिलकर उपयुक्त क़दम उठाए हैं. पृष्ठभूमिदक्षिण सूडान ने वर्ष 2011 में सूडान से स्वाधीनता हासिल की थी, मगर उसके बाद से ही यह टकराव और अस्थिरता से जूझता रहा है.वर्ष 2013 में राष्ट्रपति सल्वा कीर के वफ़ादार सैन्य बलों और पूर्व उप राष्ट्रपति रिएक मचार के समर्थकों के बीच गृहयुद्ध भड़क उठा था. कई वर्षों तक जातीय हिंसा, सामूहिक अत्याचार और मानवीय संकट जारी रहने के बाद, 2018 में नाज़ुक हालात में एक शान्ति समझौते पर सहमति हुई.मगर, परस्पर विरोधी सैन्य बलों के बीच बढ़ती झड़पों और आम नागरिकों पर हमलों के बीच, मार्च (2025) के अन्त में, मुख्य विपक्षी नेता और प्रथम उप राष्ट्रपति रिएक मचार को नज़रबन्द किए जाने की ख़बरें थी, जिससे देश में फिर से गृहयुद्ध छिड़ने की आशंका है.सूडान में हिंसा के कारण देश में वापसी करने वाले लोगों के लिए हालात ज़्यादा ख़राब हैं. विनाशकारी स्तर पर भूख से जूझ रहे लोगों की कुल संख्या में से क़रीब 50 फ़ीसदी इन्हीं में से हैं.दक्षिण सूडान में पहले से ही समुदाय नाज़ुक हालात मे रह रहे हैं, और 11 लाख से अधिक विस्थापितों के वहाँ पहुँचने से मौजूदा संसाधनों पर भीषण दबाव है. इनमें हिंसा से बचने के लिए सुरक्षा की तलाश कर रहे सूडानी नागरिक और अपने देश वापिस लौट रहे दक्षिण सूडान के नागरिक हैं.

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