चंडीगढ़। वरिष्ठ अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता एच. एस. फुल्का ने पंजाब से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करते हुए कहा कि आम पंजाबी की भूमिका कृषि संकट और जमीन के मसलों में बेहद अहम है। उन्होंने मीडिया की जिम्मेदारी पर जोर देते हुए कहा कि किसानों के मुद्दों को व्यापक स्तर पर उठाने की जरूरत है।
फुल्का ने किसानों के लिए एक नए प्रयोग की जानकारी दी, जिसमें बिना पानी और बिना किसी पेस्टीसाइड के खेती संभव है। उन्होंने डॉ. अवतार सिंह फगवाड़ा के प्रयासों का उल्लेख करते हुए बताया कि उन्होंने गन्ने के साथ सरसों की बिजाई बेड पर की, जिसमें सिंचाई या खाद की जरूरत नहीं पड़ी। केवल बारिश के पानी से अच्छी फसल तैयार हुई।
प्राकृतिक खेती से बढ़ेगी उपज
फुल्का ने कहा कि पंजाब की हर जमीन में अपार संभावनाएं हैं और इसे सही दिशा में उपयोग करने की जरूरत है। उन्होंने सुझाव दिया कि धान की फसल को छोड़कर बाकी फसलों के लिए सीधी सिंचाई की बजाय, पानी को जमीन में स्वाभाविक रूप से समाहित होने देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अधिक पानी देने से मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं, जिससे प्राकृतिक खाद समाप्त हो जाती है और किसानों को बाहरी उर्वरकों पर निर्भर होना पड़ता है। यदि पारंपरिक तरीकों को छोड़कर प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ा जाए, तो पंजाब की कृषि भूमि को और अधिक उत्पादक बनाया जा सकता है।
फुल्का के इस बयान से कृषि वैज्ञानिकों और किसानों के बीच एक नई चर्चा शुरू हो सकती है कि क्या पंजाब में परंपरागत खेती को बदलकर प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ना सही रहेगा।
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