अंबाला। जिले में शुक्रवार रात 8 बजे से सुबह 6 बजे तक ब्लैकआउट के निर्देश दिए गए हैं। इसके तहत स्ट्रीट लाइट, दुकानों की रोशनी, घरों के बाहर की बिजली, यहां तक कि जनरेटर और इनवर्टर भी बंद रखने को कहा गया है। ये सिर्फ अंधेरा नहीं है, ये एक सख्त चेतावनी है कि हालात सामान्य नहीं हैं।
जिला मजिस्ट्रेट अजय सिंह तोमर का यह आदेश बताता है कि कोई अनदेखा ख़तरा मंडरा रहा है, जिसकी परछाई से बचने के लिए अंधेरे की शरण ली जा रही है। यह ब्लैकआउट उस खामोशी का नाम है, जो चीखती नहीं, लेकिन बहुत कुछ कहती है।
आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा गया, लेकिन ज़मीन पर हलचल है। सुरक्षा एजेंसियां सक्रिय हैं, और प्रशासन अलर्ट मोड में। ऐसे में यह फैसला महज़ एहतियात नहीं, एक रणनीति है। कुछ ऐसा है जो उजाले से डरता है, और जिससे लड़ने के लिए अंधेरे की ज़रूरत है।
क्या करना है, क्या नहीं? : रात 8 बजे के बाद घरों के बाहर कोई भी लाइट न जलाएं। दुकानें, होर्डिंग, विज्ञापन लाइटें पूरी तरह बंद रहें। इनवर्टर, जनरेटर, सोलर पावर – सब प्रतिबंधित रहेंगे। खिड़की और दरवाजों से रोशनी बाहर न झलके।
नियम तोड़े, तो सीधे एफआईआर
BNSS की धारा 223 के तहत, आदेशों की अवहेलना करने पर न सिर्फ सजा मिलेगी, बल्कि एफआईआर भी दर्ज होगी। प्रशासन ने साफ कह दिया है – यह सामान्य सलाह नहीं, बल्कि कानूनन आदेश है।
अंधेरे में उजाले की उम्मीद
आज रात अंबाला में मोमबत्तियाँ, टॉर्च और फ्लैशलाइटें ही आपकी साथी होंगी। लेकिन इनका भी इस्तेमाल समझदारी से करें, ताकि घर के अंदर उजाला हो, पर बाहर सिर्फ अंधेरा दिखे।
एक सवाल जो सबके मन में है : आख़िर क्या है वो वजह, जो अंधेरे को सुरक्षा का पर्याय बना रही है?
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