जयपुर। कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी पर अंजनी के लाल वीर हनुमानजी का जन्मोत्सव हर्षोल्लास और श्रद्धाभाव से मनाया जाएगा। इस अवसर पर हनुमान मंदिरों में विशेष सजावट के साथ ही हनुमानजी को नवीन चौला अर्पण, पौशाक, फूलों से श्रंगार और रामचरितमानस, सुंदकांड के सामूहिक पाठ और महामंत्रों से
अभिषेक पूजा-आरती के साथ ही छप्पन भोग के आयोजन पुजारियों व महंतों के सान्निध्य में आयोजित किए जाएंगे। करतारपुरा विजयनगर द्वितिय के श्रीमनसापूर्ण हनुमानजी, ईच्छापूर्ण हनुमान मंदिर सहित शहर के प्रमुख हनुमान मंदिरों में जयंती विशेष रूप से मनाई जाएगी। करतारपुरा हनुमाानजी मंदिर के महंत राधेश्याम शर्मा (लल्लू महाराज) ने बताया कि हनुमान जयंती के विषय में दो मत प्रचलित है कि हनुमानजी के जन्म लेने के बाद जब माता अंजनी देवी को निद्रा आ गई इस दौरान हनुमान जाग रहे थे और जन्मकालिक भूख तो उन्हें सता ही रही थी, इस पर वे उगते सूर्य की लालीमा देख फल समझ सूर्य को निगल गए। सभी ने ग्रहण मान लिया। जब पता चला कि यह राहू से न होकर किसी वानर से हुआ है। इस पर सभी देवों ने हनुमान नाम का वरदान देकर मान लिया। इस से यह सिद्ध होता है कि वास्तविक हनुमान जयंती पर्व कार्तिक कृष्णा चतुर्दशी पर ही मनाने का प्रावधान है। पं. पुरुषोत्म शर्मा के अनुसार चैत्र शुक्ला पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण तो हो सकता है पर अमावस्या बिना सूर्य ग्रहण सिद्ध नही होता।
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