हनुमान जयंती शनिवार को

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 28 अक्टूबर 2016, 9:30 PM (IST)

जयपुर। कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी पर अंजनी के लाल वीर हनुमानजी का जन्मोत्सव हर्षोल्लास और श्रद्धाभाव से मनाया जाएगा। इस अवसर पर हनुमान मंदिरों में विशेष सजावट के साथ ही हनुमानजी को नवीन चौला अर्पण, पौशाक, फूलों से श्रंगार और रामचरितमानस, सुंदकांड के सामूहिक पाठ और महामंत्रों से
अभिषेक पूजा-आरती के साथ ही छप्पन भोग के आयोजन पुजारियों व महंतों के सान्निध्य में आयोजित किए जाएंगे। करतारपुरा विजयनगर द्वितिय के श्रीमनसापूर्ण हनुमानजी, ईच्छापूर्ण हनुमान मंदिर सहित शहर के प्रमुख हनुमान मंदिरों में जयंती विशेष रूप से मनाई जाएगी। करतारपुरा हनुमाानजी मंदिर के महंत राधेश्याम शर्मा (लल्लू महाराज) ने बताया कि हनुमान जयंती के विषय में दो मत प्रचलित है कि हनुमानजी के जन्म लेने के बाद जब माता अंजनी देवी को निद्रा आ गई इस दौरान हनुमान जाग रहे थे और जन्मकालिक भूख तो उन्हें सता ही रही थी, इस पर वे उगते सूर्य की लालीमा देख फल समझ सूर्य को निगल गए। सभी ने ग्रहण मान लिया। जब पता चला कि यह राहू से न होकर किसी वानर से हुआ है। इस पर सभी देवों ने हनुमान नाम का वरदान देकर मान लिया। इस से यह सिद्ध होता है कि वास्तविक हनुमान जयंती पर्व कार्तिक कृष्णा चतुर्दशी पर ही मनाने का प्रावधान है। पं. पुरुषोत्म शर्मा के अनुसार चैत्र शुक्ला पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण तो हो सकता है पर अमावस्या बिना सूर्य ग्रहण सिद्ध नही होता।




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यहां भी होंगे आयोजन:
ईच्छापूर्ण हनुमान मंदिर, नंदपुरी के पुजारी मनोहर शास्त्री ने बताया कि हनुमान जयंती का पर्व कार्तिक मास की चतुर्दशी पर भी मनाया जाता है। दीपोत्सव एक बहु आयामी पर्व है। हम श्रीगणेश, दीप, भगवती लक्ष्मी, विष्णुजी, यम, धनवतंरी, कुबेर तथा मां सरस्वती की वंदना करते है। दीपावली से एक दिन पूर्व हनुमान मंदिरों में आरती पूजा के विशेष आयोजन किए जाते है। मंदिरों को गुब्बारों, बांदरवालों, फूलों से सजाया जाएगा। उत्सव पर भजन संध्या और मंत्रोच्चार के आयोजन किए जाते है। पं. राजकुमार चतुर्वेदी के अनुसार हनुमानजी की जयंती पर वर्ष में दो बार आयोजन होते है। दोनो चैत्र और कार्तिक माह में भगवान का श्रद्धाभाव से पूजा अर्चना के साथ जन्मोत्सव मनाया जाता है। कार्तिक मास में दीपोत्सव पर्व के साथ ही यह आयोजन मनाने की परंपरा रही है। जयपुर शहर के सभी हनुमानजी और रामचंद्रजी मंदिरों में जयंती पर्व बधाईगान और उत्सव के रूप में मनाया जाता है। पं. अमित कुमार शर्मा के अनुसार चैत्र नवरात्र में देवी पूजा के बाद भगवान राम का जन्मोत्सव को रामनवमी पर्व के रूप में मनाया जाता है। भक्तों के अनुसार रामजी के बाद ही हनुमानजी का जन्म माना जाता है, इसी कारण चैत्र माह में नवमी के बाद आने वाली चैत्र शुक्ला चतुर्दशी की रात्रि को हनुमानजी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इसके साथ ही हनुमानजी के भक्त चैत्र की चतुर्दशी पर रामजी के जन्म के बाद उत्सव मनाने लगे। पाल वाले हनुमानजी देवती का बांध के पुजारी बृजराज गिरी ने बताया कि यहां वर्ष में दो बार जन्मोत्सव के आयोजन होते है। इस दौरान प्रचलित दो मतो के अनुसार ही यहां दोनों तिथियों पर भक्त आराधना कर महोत्सव मनाते है। दोनो तिथियों का विशेष महत्व है। गिरी ने बताया कि अपने ईष्टद्ददेव को जब चाहों तब उत्सव मनाकर, पूजा पाठ कर प्रसन्न कर सकते है। सभी मंदिरों में होंगे आयोजन छोटी काशी के प्रमुख हनुमान मंदिर, सांगानेरी गेट स्थित पूर्व पश्चिम हनुमानजी मंदिर, अंबाबाड़ी हनुमानजी मंदिर, ब्रह्मद्दपुरी के ब्रह्मद्दराम मंदिर स्थित हनुमान मंदिर, चांदपोल हनुमान मंदिर, खेड़ापति बालाजी, लंगर के बालाजी, घाट के बालाजी, खोले के हनुमानजी, गीता गायत्री मंदिर स्थित हनुमानजी, कनक विहारी मंदिर स्थित एकादश मुखी हनुमानजी, बड़ के बालाजी, पापड़ के हनुमानजी, हाथोज धाम और गुटया हनुमानजी मंदिर ब्रह्मद्दपुरी में विशेष आयोजन होंगे।


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