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जयपुर। जैसलमेर जिले में कर्रा रोग की वस्तुस्थिति का पता लगाने के लिए पशु चिकित्सकों के तीन सदस्यीय दल ने प्रभावित जिले के करीब दो दर्जन गांवों में पहुंचकर दर्जनों बीमार पशुओं के सैंपल्स लिए हैं। दल की प्रारंभिक रिपोर्ट में पाया गया कि कर्रा रोग प्रारंभिक लक्षण वाले पशुओं की संख्या काफी कम हो गई है। पशुपालन, डेयरी एवं गोपालन मंत्री जोराराम कुमावत ने बताया है कि जयपुर स्थित पीजीआईवीईआर के वीसीसी ईचार्ज व अस्टिटेंट प्रोफेसर डॉ. सुरेश कुमार झीरवाल के निर्देशन में पीजीआईवीईआर के अस्टिटेंट प्रोफेसर डॉ. विकास गालव व डॉ. संदीप कुमार शर्मा को जांच लिए भेजा गया। इस टीम ने जैसलमेर जिला मुख्यालय के आसपास के गांवों व पोकरण तहसील के दो दर्जन से अधिक गांवों में सैंपल लिए हैं। इस टीम ने दो दिन तक जिले के गांव बड़ोड़ा, रिदवा, बंबारों की ढाणी, गांव आसायच, डाबला, दरबारी, सोरों की ढाणी सहित करीब दो दर्जन गांवों में बीमार पशुओं ़ के सैंपल लेकर जिला कलेक्टर व पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. उमेश कुमार को अवगत करवाया है। जोराराम कुमावत ने बताया कि प्रभावित क्षेत्रों से बीमार पशुओं के लिए गए सैंपल का लैब में गहन परीक्षण किया जाएगा, जिसके बाद वस्तुस्थिति और साफ हो सकेगी।
मंत्री कुमावत ने बताया कि चिकित्सकों के दल ने जिन क्षेत्रों में पशुओं के सैंपल लिए हैं वहां कर्रा रोग के प्रारंभिक लक्षण तो नहीं मिले हैं लेकिन कुछ अन्य बीमारियों के लक्षण जरूर मिले हैं जिनके लिए उनका उपचार चल रहा है। खासकर पशुओं में पोषण व फास्फोरस की कमी, बैक्टीरियल रोग की आशंका है। इसके लिए चिकित्सा विभाग की मोबाइल वेटनरी वैन व पशु चिकित्सालयों में मिनरल मिक्सर, एक्टीवेटिड चारकोल पाउडर आदि की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। पशुपालकों को भी सावधान और जागरूक रहने की सलाह दी गई है। उन्होंने बताया कि अधिकारियों को जिले में मिनरल मिक्सर और औषधियों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं जिससे दवाइयों की कमी की वजह से कोई समस्या नहीं आने पाए।
मंत्री कुमावत ने कहा कि जिले में कलेक्टर निरंतर स्थिति पर नजर रखे हुए हैं, अधिकारियों से लगातार बात हो रही है। सभी को निर्देश दिया गया है कि मृत पशुओं को खुले में बिल्कुल नहीं छोड़ा जाए और उचित तरीके से उनका निस्तारण किया जाए। उन्होंने बताया कि कुछ समय पहले कुछ मौतें कर्रा रोग से हुई थीं जो लगभग हर साल ही होती हैं परंतु अभी स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है।
उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में गर्मी का प्रकोप और बढ़ने वाला है। प्राकृतिक परिवर्तनों के प्रभाव से पशुधन को स्वस्थ रखने हेतु पशुपालकों को सचेत एवं जागरूक बनाया जाना अति आवश्यक है, इसके लिए भी पशुओं के रखरखाव, पोषण एवं स्वास्थ्य रक्षा हेतु प्रशासन द्वारा आवश्यक कदम उठाये जाने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए गए हैं।
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