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जवाब
: 8125 वर्ग मीटर सरकारी जमीन पर बने चार हॉस्टल की चौड़ाई करीब 200 फीट
थी, जिन्हें तोड़ना बेहद चूनौतीपूर्ण था। योजना के तहत पहले एक्सपर्ट शरद
सरवटे ने इमारतों को विस्फोट से तोड़ने के लिए दो हिस्सों में करने की जरूरत
बताई, लेकिन हमने इन्हें तीन हिस्सों में कर दिया। शुरुआती स्तर पर सभी
हॉस्टल की दीवारों को ध्वस्त करते हुए पिलरों में ड्रिल कर बिल्डिंग को
कमजोर किया गया, ताकि बारूद की सहायता से इसे आसानी से गिराया जा सके....
सवाल
: पहले बारूद के जरिए बिल्डिंग तोड़ी जानी थी, लेकिन जान जोखिम में डालकर अपने ही स्तर पर जेडीए ने कार्रवाई की, क्यों ?
जवाब
: गोपालपुरा रोड पर बनी अवैध इमारतों की चौड़ाई कम थी, उन्हें आसानी से तोड़
चुके थे। यहां सभी बिल्डिंग की चौड़ाई ज्यादा थी। पहले हॉस्टल की बाहरी
दीवारों को तोड़ दिया गया और अंदरूनी पिलरों को ड्रिलिंग की गई और बिल्डिंग
को कमजोर कर दिया गया। बाद में कमजोर पिलरों में बारूद की छड़ें लगाना किसी
खतरे से कम नहीं था। बिल्डिंग में कुछ ज्यादा बचा नहीं था, ऐसे में खतरा
मोल ना लेते हुए खुद पर भरोसा किया और प्रवर्तन शाखा के सभी अधिकारियों और
कर्मचारियों का हौसला बढ़ाया। बाद में सूझ-बूझ, समझदारी, हिम्मत और राय
मशवरा कर इन्हीं संसाधनों से सभी बिल्डिंग को गिरा दिया गया...
सवाल
: चारों इमारतों को तोड़ने के लिए किन-किन संसाधनों को काम में लिया गया ?
जवाब
: हॉस्टल को तोड़ने के लिए 15 लोखंडा मशीन, 4 ब्रेकर, 4 पोकलैंड और 25 से
ज्यादा ट्रैक्टर-ट्रॉली की मदद ली गई। कार्रवाई में प्रवर्तन शाखा समेत
करीब 200 से ज्यादा पुलिसकर्मियों का जाब्ता मौजूद रहा...
सवाल
: निम्स प्रशासन से तोड़फोड़ का खर्चा वसूला जाएगा ?
जवाब : सुप्रीमकोर्ट ने निम्स प्रशासन पर 20 लाख रुपए का जुर्माना किया
है। यह राशि तीन दिन में वसूली जाएगी। नहीं देने पर सुप्रीम कोर्ट की
अवमानना मानी जाएगी...
सवाल
: हॉस्टल को तोड़ने में किस तरह का अनुभव रहा ?
जवाब
: इस तरह की बिल्डिंग को तोड़ने का कोई अनुभव नहीं था। हां, विश्वास जरूर
था, कि असम्भव काम को सम्भव किया जा सकता है और नतीजा आप सभी के सामने हैं।
हिम्मत और विश्वास के बल पर सभी को साथ लेकर यह काम अंजाम दिया गया। इन
बिल्डिंग को गिराने के बाद अब जेडीए भविष्य में अब इस तरह के भवनों को
गिराने का काम खुद कर सकता है। इसमें फिजूल का खर्चा नहीं करना पड़ेगा...
सवाल
: क्या पहले ऐरा ग्रुप की बिल्डिंग को जेडीए खुद गिरा सकता था ?
जवाब
: देखिए मैं उस समय नहीं था। उस समय क्या हालात थे ये मुझे नही
मालूम...लेकिन यहां हमारी टीम ने मिलकर इस चैलेंजिंग काम को बखूबी से
निभाया है और भविष्य में भी ऐसे ही कोशिश जारी रहेगी.....
सवाल
: अब इस जमीन का क्या उपयोग किया जाएगा ?
जवाब
: यह जमीन रामगढ़ के बहाव क्षेत्र में है। इस पर संभवतया कोई योजना नहीं
बनेगी। इसे यथावत रखा जाएगा। कुछ छोटे अतिक्रमण बचे हुए हैं, इन्हें हटाकर
पूरा मलबा जेडीए के काम में लिया जाएगा। इसके बाद भविष्य में फिर से इस
जमीन पर कोई कब्जा न हो इसके लिए दीवार बनवाई जाएगी।
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