जयपुर। जयपुर के दिल्ली रोड स्थित रामगढ़ बांध के बहाव क्षेत्र में सरकारी जमीन पर निम्स यूनिवर्सिटी प्रशासन ने करोड़ों रुपए खर्च कर 4 अवैध इमारतें खड़ी कर दीं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद जयपुर विकास प्राधिकरण ने महज 4 दिन में रसूखदार की इन 4 बिल्डिंगों को धराशाही कर दिया।
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खास बात तो यह रही कि इन बिल्डिंगों को ध्वस्त करना जेडीए के लिए चुनौतीपूर्ण था, लेकिन जेडीए प्रशासन ने अपनी जान की परवाह न करते हुए बिना बारूद और विस्फोट की मदद से अपने संसाधनों से ही लंबी-चौड़ी 4 अवैध इमारतों को महज एक झटके में तोड़ते हुए एक असंभव काम को संभव कर दिखाया। हैरानी तो ये है कि एक बारगी जेडीए प्रशासन को ये समझ नहीं आया कि इन बिल्डिंग को किस तकनीक से ध्वस्त किया जाए। अधिकारी भी यह तय नहीं कर पा रहे थे कि 200 फीट चौड़ाई में बने इन अवैध निर्माणों को कैसे तोड़ा जाए।
यही नहीं, 30 नवम्बर तक जेडीए को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन भी करना था, ऐसे में तय मियाद से पहले ही बिल्डिंग को ढहाया जाना भी जरूरी था। चारों बिल्डिंगों को गिराने के लिए जेडीए ने इंदौर के एक्सप्लोजिव एक्सपर्ट शरद सरवटे की सेवाएं लेने का फैसला किया। इसके लिए बी एस सरवटे को जयपुर बुला भी लिया गया। सरवटे ने निरीक्षण किए जाने के बाद सभी बिल्डिंगों को बारूद से ढहाए जाने की बात कही। इस पर करीब 50-60 लाख रुपए का खर्चा बताया। साथ ही, इसके लिए 10 दिन का समय भी मांगा। इतनी बड़ी मात्रा में होने वाले खर्चे को देखकर जेडीए प्रशासन कोई निर्णय नहीं ले पाया।
बस फिर क्या था, जेडीए की प्रवर्तन शाखा ने इन अवैध निर्माणों को खुद अपने स्तर पर तोड़ने की ठान ली। इसके लिए प्रवर्तन शाखा और इंजीनियरिंग शाखा के अधिकारियों ने खुद पर भरोसा जताया और जेडीसी वैभव गालरिया को सुरक्षित अवैध निर्माण ध्वस्त करने का विश्वास दिलाया। जेडीसी ने अपने अफसरों पर भरोसा कर इन सभी बिल्डिंगों को गिराने की इजाजत दी। इस काम की कमान संभाली जेडीए के सचिव गुईटे, इंजीनियरिंग शाखा के अतिरक्त मुख्य अभियंता श्रीलाल मीणा, जेडीए के पुलिस अधीक्षक
डॉ. राहुल जैन ने। जेडीए के पुलिस अधीक्षक डॉ. राहुल जैन के नेतृत्व में जेडीए दस्ते ने महज 4 दिन में चार मंजिला अवैध निर्माणों को ध्वस्त कर एक बड़ी सफलता हासिल की।
खास बात तो यह है कि प्रवर्तन शाखा ने अपनी सूझबूझ और साहस से इस चुनौतीपूर्ण कार्य को बखूबी से निभाया, साथ ही, जेडीए के करीब 30 से 40 लाख रुपए भी बचा लिए। जिस जेडीए को इन बिल्डिंग को गिराने के लिए 50 से 60 लाख रुपए खर्च करने पड़ रहे थे, उन्हीं बिल्डिंग को प्रवर्तन शाखा ने महज आधी से भी कम लागत यानी करीब 20 लाख रुपए के खर्चे में निपटा दिया।
जेडीए की ओर से इन अवैध हॉस्टल को तोड़ने में जिस अधिकारी की सबसे अहम भूमिका रही वे जेडीए के पुलिस अधीक्षक
डॉ. राहुल जैन
थे। उन्होंने प्रवर्तन शाखा के सभी अधिकारियों को विश्वास में लेकर जेडीसी को भी भरोसा जताया था, जिस पर वे खरे उतरे। पहली बार जान जोखिम में डालकर इस तरह के असंभव कार्य को संभव कर दिखाने वाले जेडीए के पुलिस अधीक्षक
डॉ. राहुल जैन एक नजीर बन गए हैं। इसी को लेकर खास खबर ने की जेडीए के पुलिस अधीक्षक डॉ. राहुल जैन से खास बातचीत....
सवाल
: निम्स के अवैध हॉस्टल को तोड़ने के लिए क्या प्लानिंग की थी
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