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जयपुर। राजस्थान में एक बड़ा प्रशासनिक फेरबदल करते हुए, राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के महानिदेशक डॉ. रवि प्रकाश मेहरड़ा को राजस्थान के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) का अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया है। इस नियुक्ति के साथ ही राज्य पुलिस के शीर्ष पद को लेकर चल रही अटकलों पर विराम लग गया है। पूर्व डीजीपी यूआर साहू को मंगलवार को ही आरपीएससी का चेयरमैन नियुक्ति करने के बाद डीजीपी का पद खाली हुआ था।
1990 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी डॉ. मेहरड़ा, एसीबी प्रमुख के रूप में अपनी बेदाग छवि और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए जाने जाते हैं। उनकी अगुवाई में एसीबी ने पिछले कुछ समय में कई बड़े और हाई-प्रोफाइल मामलों में कार्रवाई की है, जिससे नौकरशाही और पुलिस महकमे में हड़कंप मचा है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
डीजीपी के अतिरिक्त प्रभार के साथ, डॉ. मेहरड़ा पर अब पूरे राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने, अपराध नियंत्रण और पुलिस बल के आधुनिकीकरण की बड़ी जिम्मेदारी आ गई है। माना जा रहा है कि उनकी यह नियुक्ति राज्य सरकार की अपराध और भ्रष्टाचार के प्रति "जीरो टॉलरेंस" की नीति का ही विस्तार है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि डॉ. मेहरड़ा अपनी एसीबी वाली कार्यशैली को डीजीपी के रूप में कैसे आगे बढ़ाते हैं और राज्य पुलिस में क्या नए बदलाव देखने को मिलते हैं। उनकी यह दोहरी जिम्मेदारी उन्हें और भी शक्तिशाली बनाती है, क्योंकि वे एक साथ भ्रष्टाचार और अपराध दोनों पर लगाम कसने का प्रयास कर सकते हैं।
राज्य के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में इस नियुक्ति को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं चल रही हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम पुलिसिंग में और अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही लाने में मदद करेगा, जबकि कुछ अन्य का मानना है कि यह एक अंतरिम व्यवस्था हो सकती है, जिसके बाद पूर्णकालिक डीजीपी की नियुक्ति की जाएगी।
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