नूंह। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से भले ही भाजपा सरकार किसानों
के हितैषी होने का दम भर रही हो , लेकिन मेवात जिले के किसानों को यह योजना
रास नहीं आ रही है। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि मेवात में लोगों की कमाई
का जरिया खेती है। लाखों किसान इस जिले में किसानी पर आधारित हैं ,जो कभी
कुदरत तो कभी सरकार की मार झेलते रहते हैं।
पीएम नरेंद्र मोदी की
सरकार ने वर्ष 2016 -2017 में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत की
थी। वर्ष 2016 में कुल 9188 किसानों ने अपनी फसलों का बीमा कराया। इन
किसानों में ज्यादातर वे किसान थे , जिन्होंने लोन लिया हुआ था। लिहाजा
बैंक खाते से ही बीमा की फसल काट ली गई। कृषि अधिकारियों के मुताबिक इस
वर्ष बीमा कराने वाले किसानों की संख्या में इजाफा हुआ है।
लोग इसके बारे
में जागरूक हो रहे हैं। कृषि सहायक अधिकारी रतन लाल ने पत्रकार वार्ता में
कहा कि किसान कृषि विभाग के अलावा सीएससी सेंटर ( कम्प्यूटर सर्विस सेंटर )
पर भी जाकर करा सकते हैं। उन्होंने बताया कि कपास की फसल पर 1380 रुपये ,
धान की फसल पर 1430 रुपये , बाजरा की फसल पर 670 रुपये , मक्का की फसल पर
750 रुपये प्रति हेक्टेयर के हिसाब से दिया जाता है। कृषि विभाग के मुताबिक
सूखा या बाढ़ के अलावा अगर किसी अन्य बीमारी से फसल खराब होती है ,तो
किसानों को संबंधित इलाके के दफ्तर में सूचना देनी होगी। सूचना मिलते ही
खराब फसल की सर्वे होगी और बीमा कंपनी किसान को तत्काल राहत देने का काम
करेगी। विभाग ने जिले के किसानों से अपील की है कि ज्यादा से ज्यादा किसान
भाई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ अवश्य उठाएं।
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