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एक दिया वहां भी जलाएं, जहां अंधेरा हो : ठाकुर

There also a burn lamp, where darkness : Thakur - Amritsar News in Hindi

अमृतसर। पूरा देश दीपावली के उल्लास में डूबा है। भारतीय परंपरा और विशुद्ध धार्मिक महत्ता से जुड़े इस पर्व को धूमधाम से मनाने की तैयारी चल रही है। सब अपने व अपनों के लिए उपहार खरीद रहे हैं। इन सबके बीच एक कुनबा ऐसा भी है जो अपनों के साथ-साथ दूसरों की दीपावली रोशन करता है। इस परिवार के सदस्य झुग्गी-झोपडिय़ों में रहने वाले बच्चों के साथ दीपावली मनाते हैं। दीपावली का दिन उन वृद्धों के नाम समर्पित करते हैं जिन्हें अपनों ने ही अपने से अलग कर दिया।

दरअसल, अखिल भारतीय ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन के सदस्य दीपावली का पावन पर्व इसी अंदाज से मनाते हैं। संगठन की जिलाध्यक्ष ज्योति ठाकुर व सभी महिला सदस्य पिछले एक दशक से उन बस्तियों में उम्मीद की किरण जला रहे हैं जहां कभी अंधेरा था। ज्योति ठाकुर बताती हैं कि अमृतसर की हिंदुस्तानी बस्ती में ज्यादातर परिवार आर्थिक रूप से कमजोर हैं। आसपास झुग्गियां बनी हैं। उन्होंने संस्था के राष्ट्रीय महासचिव एचएस तंवर से परामर्श के बाद इस बस्ती को गोद लिया। नशे की गिरफ्त में फंसे ज्यादातर लोग अपने बच्चों को शिक्षित करने के पक्षधर नहीं थे। हालांकि इनके बच्चे पढऩा चाहते थे। किसी तरह लोगों को समझा-बुझाकर बच्चों को घर से निकाला गया। प्रारंभिक चरण में मैले-कुचैले चीथड़ों में लिपटे 40 बच्चों को पाठशाला की राह दिखाई। किताबें, स्टेशनरी, कपड़े व जूते भी प्रदान किए गए। कंधे पर बस्ता लेकर जब बच्चे घर से निकले, उनकी आंखों में सुनहरे भविष्य की तस्वीर दिखाई दी। लोगों को शिक्षा का महत्व समझाया गया। धीरे-धीरे हर घर से बच्चे स्कूल जाने लगे। आज इन बच्चों को अक्षर ज्ञान हो चुका है। कुछ बच्चे आठवीं और दसवीं में शिक्षारत हैं। दीपावली के पावन अवसर पर इन बच्चों के साथ खुशियां बांटते हैं।
ज्योति ठाकुर बताती हैं कि समाज का ताना-बाना बिगड़ चुका है। घर के बुजुर्ग बोझ लगने लगे हैं। आज वृद्धाश्रमों में ऐसे बुजुर्ग रह रहे हैं जिन्होंने अपना सारा जीवन परिवार की खुशियों के लिए न्यौछावर कर दिया, लेकिन उम्र के आखिरी पड़ाव में इन्हें तिरस्कार मिला। इन बुजुर्गों के लिए दीपावली कोई मायने नहीं रखती। आंखों में आंसू लेकर वे परिवार के विछोह की पीड़ा से द्रवित हो उठते हैं। ऐसे बुजुर्गों को खुशियां देने के लिए वह हर साल वृद्धाश्रम में जाकर दीपावली मनाती हैं। उन्हें गिफ्ट व मिठाइयां वितरित की जाती हैं। साथ ही शाम को सभी के साथ भजन संकीर्तन कर ईश्वर का नाम जपते हैं। देश के हर नागरिक को यह संकल्प लेना चाहिए कि वहां भी एक दीप जलाएं जहां अंधेरा है। सही मायनों में यही हर भारतीय की दीवाली होगी।


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