|
अधिक बारिश या धूप पडऩे पर छात्र-छात्राये कक्षाएं छोडक़र भाग जाते है। स्कूल में मिड डे मील बनाने के लिए रसोई भी नहीं है साथ में शौचालय भी पुराने होने पर जीर्ण हो चुके है। शिक्षा विभाग से लेकर जिले के उच्च अधिकारियों तक विद्यालय के भवन अभाव की मौजूदा हालत से अवगत करा दिया है लेकिन बजट के अभाव का हवाला देकर पल्ला झाड़ दिया जाता है। जिससे नैनिहालों के भविष्य के साथ खिलबाड़ होना लाजमी है। स्कूल में भवन की कमी को लेकर छात्र-छात्राओं से जानकारी चाही तो उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा ग्राम पंचायत मुख्यालय को देखते हुए स्कूल को माध्यमिक से उच्च माध्यमिक में क्रमोन्नत कर दिया। लेकिन कक्षाएं संचालित करने के लिए भवन की व्यवस्था नहीं की हैं जिससे छात्र-छात्राओ के बैठने के साथ शिक्षण कार्य भी प्रभावित हो रहा है। स्कूली बच्चों ने बताया कि बारिश अधिक धूप और सर्दी में कक्षाओं को मजबूरन छोडऩा पड़ता है। जिससे अध्यापन कार्य अधूरा रह जाता है। जिसको लेकर छात्र-छात्राओं में शिक्षा विभाग और सरकार के खिलाफ आक्रोश बना हुआ है। बहरहाल प्रदेश की सरकार और शिक्षा विभाग ने जिले में दर्जनों विद्यालयों को क्रमोन्नत कर बड़ा ओहदा तो दे दिया। लेकिन जमीनी हकीकत की बात की जाए तो हालात कुछ और ही सामने निकल कर आते है जो जाहिर तौर पर सिस्टम की पोल खोलकर रख रहे है। जिले के दर्जनों विद्यालय ऐसे है जो भवन की कमी,शिक्षकों का टोटा,छात्रों के लिए आधुनिक एवं तकनीकी शिक्षा की कमी,कही न कही अपने आप में बड़े सबाल खड़े करते है। लेकिन इन सब हालातों से रूबरू होते भी कब तक सिस्टम जागेगा फिलहाल इसका जबाब शायद ही किसी के पास हो।
मोदी सरकार के 11 साल : पद्म पुरस्कार से सम्मानित हस्तियों ने गिनाईं उपलब्धियां, बताया हर क्षेत्र में हो रहा विकास
राहुल गांधी का केंद्र सरकार पर वार, कहा- न जवाबदेही, न बदलाव, सिर्फ प्रचार
पीएम मोदी के 11 साल को सुनहरे अक्षरों में लिखा जाना चाहिए : जेपी नड्डा
Daily Horoscope