सूचना तकनीक के युग में भी प्रिंट पत्रकारिता विश्वसनीय बनी हुई है : जस्टिस गोविंद माथुर
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*तकनीक के चलते हर दिन बदल रहे पत्रकारिता के आयाम : राजेन्द्र बोड़ा
जोधपुर । दैनिक जलतेदीप के संस्थापक संपादक स्वर्गीय माणक मेहता की 50वीं पुण्यतिथि पर जलतेदीप सभागार में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस मौके पर वर्ष 2024 के 'माणक अलंकरण' व विशिष्ट पुरस्कार (पांच) की घोषणा भी की गई। इस मौके पर 'वर्तमान परिप्रेक्ष्य में पत्रकारिता के बदलते आयाम' विषयक संगोष्ठी में मुख्य अतिथि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गोविंद माथुर ने कहा कि आज सूचना तकनीक के युग में भी प्रिंट पत्रकारिता विश्वसनीय बनी हुई है। लोगों को सुबह अखबार पढऩे की लत लगी हुई है। लोग अखबार पढ़े बिना नहीं रह सकते हैं। आज तकनीक में तेजी से बदलाव आ रहे हैं, लेकिन अखबार की अपनी महत्ता है। पत्रकारिता हर युग में रहेगी, आयाम भले ही बदल जाए, लेकिन हमारे मानवीय मूल्य नहीं बदल सकते हैं। निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकार पर समाज को बहुत भरोसा होता है। वर्तमान में बिना तकनीक के कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्र बोड़ा ने कहा कि तकनीक के चलते आज हर दिन पत्रकारिता के आयाम बदल रहे हैं। बाजार तकनीक को नियंत्रित कर रहा है और ऐसे में अखबारों के डिजीटल संस्करण चलने लगे हैं। आज लोगों को तुरंत खबर चाहिए होती है, लेकिन इन खबरों में चेक इन बैलेंस नहीं होता है। वर्तमान दौर में अखबारों को भी अपडेट रहने की जरूरत है। बोड़ा ने महात्मा गांधी के उद्धरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि अखबार का काम लोगों की भावना को समझ कर अभिव्यक्त करना है। लोगों में जो दोष है उसे खुलकर बताना है। संपादक को धैर्य रखना चाहिए और केवल सत्य ही लिखना चाहिए। भाषा में संयम और गलती स्वीकारने में संकोच नहीं होना चाहिए। बोड़ा ने कहा कि वर्तमान में पत्रकारिता को 'एआई' तकनीक से बड़ा खतरा पैदा हो गया है। ऐसे में अखबारों को नई तकनीक के साथ सांमजस्य स्थापित कर अपडेट रहना चाहिए।
विशिष्ट अतिथि प्रो. कल्याण सिंह शेखावत ने राजस्थानी भाषा की मान्यता की हिमायत करते हुए कहा कि 12 करोड़ राजस्थानियों की भाषा राजस्थानी को मान्यता मिलनी चाहिए। भाषा को मान्यता के बिना राजस्थान की संस्कृति और साहित्य नष्ट हो रहा है। पूर्व संभागीय आयुक्त रतन लाहोटी ने कहा कि सूचना के नित नए आयाम सामने आ रहे हैं। लेकिन अखबार आज भी सूचना का सशक्त माध्यम है। तथ्यात्मक विश्लेषण अखबार में ही मिल पाता है। भले ही आज त्वरित खबरें प्रसारित हो रही हो, लेकिन लोगों का विश्वास आज भी अखबार की खबर पर ही है। इस मौके पर विख्यात शातिर शीन काफ निजाम तथा पूर्व उपनिदेशक जनसंपर्क विभाग जोधपुर आनंद राज व्यास ने भी अपने विचार व्यक्त किये। वरिष्ठ पत्रकार और व्यंग्यकार फारूख आफरीदी ने कहा कि पत्रकारिता के पुरोधा स्वर्गीय माणक मेहता के रग रग में पत्रकारिता भरी हुई थी। वे संघर्ष के धनी थे। उन्होंने बहुत ही मेहनत के साथ पत्रकारिता को मिशन के रूप में चलाया।
गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए राजस्थान मानवाधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष जस्टिस गोपालकृष्ण व्यास ने चयन समिति की ओर से वर्ष 2024 के 'माणक अलंकरण' व विशिष्ट पुरस्कारों की घोषणा की। इससे पूर्व जलतेदीप के संपादक पदम महेता ने संगोष्ठी की शुरूआत करते हुए अतिथियों का स्वागत करते हुए जलतेदीप के अब तक सफर को लेकर अपनी बात रखी और गोष्ठी के विषय को प्रतिपादित किया।
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