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भीलवाड़ा। ग्रामीण इलाकों में जागरूकता कब आएगी। इन इलाकों में चली आ रही कुरीतियां अब समाज के नाम पर कलंक लगाने लगी हैं। यही नहीं यह दाग अब मासूमों की जिंदगियों से भी खेला रहा है। यह दाग है निमोनिया के बाद मासूम को गर्म सलाखों से दागने का। भीलवाड़ा शहर यूं तो बहुत तरक्की कर चुका है, लेकिन आज भी ग्रामीण इलाके अंधविश्वास के मायाजाल में फंसे हुए हैं।
भीलवाड़ा जिले में निमोनिया होने के बाद ग्रामीण इलाकों में वृद्ध लोगों के कहने पर मासूम के पेट को गर्म सलाखों से दागा जाता है। इससे मासूम की हालत खराब हो जाती है। ऐसे में मासूम को अस्पताल लाया जाता है। वहां चिकित्सक बड़ी मशक्कत के बाद किसी-किसी मासूम को ही बचा पाते हैं। ऐसे कई मामले महात्मा गांधी चिकित्सालय में आ चुके हैं और शनिवार देर शाम भी ऐसा ही मामला जिले के रायपुर थाना क्षेत्र के बोराणा का खेड़ा ग्राम का फिर सामने आया है। जहां मनोहर रावत ने अपनी 10 माह की मासूम बच्ची को निमोनिया होने के बाद गर्म सलाख से दाग दिया। बच्ची की हालत गंभीर हो गई और उसे उपचार के लिए महात्मा गांधी चिकित्सालय में भर्ती करवाना पड़ा।
महिला एवं बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष डॉ. सुमन त्रिवेदी कहती हैं कि पहले जब हॉस्पिटल नहीं होते थे, तब कुछ जानकार लोग ऐसी गर्म सलाखों से दाग लगाते थे, जिससे कई बच्चों का इलाज हो जाता था, लेकिन अब पुराने जमाने के वे लोग तो नहीं रहे पर उनकी यह धारणा चली आ रही है। यह अंधविश्वास आज भी बदस्तुर जारी है। इसके लिए काननू में भी कठोर कार्रवाई के नियम हैं, लेकिन फिर भी लोग मासूमों को दाग रहे हैं।
एमजीएच के बाल चिकित्सक डॉ.ओ.पी.आगाल ने कहा कि बच्ची की हालत गंभीर होने के कारण उसे अजमेर रेफर कर दिया गया है।
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