हरिद्वार । कोरोना के कारण 2 साल से
बंद कांवड़ यात्रा इस साल उत्तराखंड में सारे रिकॉर्ड तोड़ने जा रही है।
शासन प्रशासन अनुमान से ज्यादा कांवड़ियों के आने की संभावना जता रहे हैं।
दूसरी तरफ कांवड़ बनाने वाले कारीगर भी काफी उत्साहित हैं। कांवड़ियों
द्वारा कांवड़ बनवाने के लिए भी दिल खोल कर खर्चा किया जा रहा है।
इस बार कांवड़ियों द्वारा अलग-अलग तरह की कांवड़ बनाने के लिए दूर-दूर से
कारीगरों को बुलाया गया है। ऐसे ही एक कलाकार रमेश कुमार साहू मुरादनगर से
हरिद्वार पहुंचे। रमेश कुमार मंदिरों की विशेषता के रूप में कांवड़ तैयार
करते हैं। रमेश कुमार साहू का कहना है कि 2 साल से कोरोना के कारण बंद
कांवड़ यात्रा अब इस बार उत्साह और जोश के साथ शुरू हुई है। उन्होंने बताया
कि वह लगातार कांवड़ मेले में कार्य कर रहे हैं, लेकिन इतना उत्साह
कांवड़ियों में उन्होंने पहले कभी नहीं देखा।
रमेश कुमार साहू ने
मल्लिकार्जुन, काशी विश्वनाथ और नेपाल में स्थित पशुपतिनाथ, राम मंदिर जैसे
दिखने वाले कांवड़ का निर्माण किया है। रमेश कुमार साहू ने बताया कि ऐसी
हर कांवड़ का अलग-अलग रेट है। ये कांवड़ 75 हजार रूपए से शुरू होकर लगभग 4
लाख रुपए तक होती है। उन्होंने बताया कि केदारनाथ मंदिर और पशुपतिनाथ जैसे
मंदिरों का रेट 75 हजार रुपए से शुरू है। वहीं, राम मंदिर और काशी विश्वनाथ
मंदिर की कांवड़ इन दिनों काफी ट्रेंडिंग में है। उनकी कीमत डेढ़ लाख के
करीब है।
वहीं, गौतमबुद्ध नगर से आए कांवड़ियों का कहना है कि वे
2013 में भगवान पशुपतिनाथ मंदिर की प्रतिरूप की कांवड़ ले गए थे। उसके बाद
से लगातार हर वर्ष कांवड़ लेने आते रहे हैं। कांवड़ियों का कहना है कि उनके
लिए रुपए के खर्च की कोई सीमा नहीं है। मन में भगवान शिव की आस्था है।
इसलिए गर्मी और धूप के बावजूद इतनी कठिन यात्रा बिना किसी परेशानी से पूरा
कर लेते हैं।
--आईएएनएस
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