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विकास के वादों- इरादों में भारी नजर आ रहे हैं डॉ. सुभाष गर्ग, पीएम मोदी की सभा बेअसर

Dr. Subhash Garg appears to be heavy on development promises and intentions, PM Modi meeting ineffective - Bharatpur News in Hindi

भरतपुर। लोहागढ़ के लौह पुरुष मतदाताओं का लोहा अब पिघलने लगा है। विकास के वादों-इरादों में मौजूदा विधायक एवं तकनीकी शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग भारी पड़ते नजर आ रहे हैं। इस चुनाव की खास बात यह है कि मतदाताओं को फैसला करने में कोई कठिनाई नहीं है। क्योंकि राजनीतिक दल और चुनाव लड़ने वाले चेहरे जाने-पहचाने और जांचे-परखे हैं। कोई नया चेहरा नहीं। पिछली बार वाले चेहरे ही सामने हैं। प्रचार की दृष्टि से सरकुलर रोड, रंजीत नगर, हीरादास बस स्टैंड और बिजलीघर चौराहे के आसपास आरएलडी के पोस्टर-बैनर ज्यादा नजर आते हैं। जबकि केवलादेव घना उद्यान के आसपास भाजपा प्रत्याशी विजय बंसल के पोस्टर-बैनर लगे दिखते हैं।



कांग्रेस समर्थित राष्ट्रीय लोकदल के प्रत्याशी डॉ. सुभाष गर्ग का पिछले 5 साल का कार्यकाल भरतपुर ने करीब से देखा है। चाहे आरबीएम अस्पताल की बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की बात हो या कॉलेजों की संख्या 4 से बढ़ाकर 12 करने का मामला हो या सड़कों की मरम्मत की बात हो। यूनिवर्सिटी से लेकर चंबल के पानी तक को लेकर मतदाता चर्चा करते नजर आ रहे हैं। भरतपुर की सबसे पुरानी जलभराव की समस्या खत्म करने के लिए सीएफसीडी और सुजानगंगा के सौंदर्यीकरण की चर्चाएं हैं। भले ही विचारधारा कुछ भी लेकिन, चौबुर्जा, जामा मस्जिद और कुम्हेर गेट बाजार में बात करने पर लोग कहते हैं कि गर्ग ने काम तो काफी कराया है। इसीलिए ग्रामीण मतदाताओं ने तो उनका नाम ही सुभाष गर्ग से बदलकर विकास गर्ग कर दिया है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि पिछले विधानसभा चुनाव में डॉ. गर्ग को 53869 यानि 30.43 प्रतिशत वोट मिले थे।

अगर बात करें भाजपा प्रत्याशी विजय बंसल की तो उनके कई कार्यकाल लोग देख चुके हैं। बातचीत में लोग बंसल के अक्खड़ स्वभाव को लेकर भी नाराजगी जाहिर करते दिखते हैं। दाल बाजार और कोतवाली बाजार के कुछ व्यापारियों का कहना है कि पिछले 5 साल के दौरान कई मुद्दे आए, लेकिन बंसल कहीं दिखाई नहीं दिए। अब वे अपना आखिरी चुनाव बताकर भाजपा के सहारे नैय्या पार करना चाहते हें। पार्टी की विचारधारा का वोट तो मिलेगा। लेकिन, युवाओं में बहुत ज्यादा उत्साह नहीं है। संभवतः इसी कमजोर स्थिति के कारण ही उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभी करानी पड़ी है। लेकिन, मोदी की सभा के बाद पिछली बार भी भाजपा को यहां हार का सामना करना पड़ा था।
यहां तीसरे उम्मीदवार गिरीश चौधरी हैं जो बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर खडे हैं। उन्हें बसपा के परंपरागत वोट बंद अनुसूचित जाति और जाट बैंक की उम्मीद है। लेकिन, बता दें कि अनुसूचित जाति का वोट बैंक अब बसपा से खिसक चुका है। अनुसूचित जाति के लोगों को लगता है कि अब मायावती कभी पावर में नहीं आएंगी। इसलिए ज्यादातर मतदाता कांग्रेस और आजाद समाज पार्टी की ओर रुख कर रहा है। संभवतः इसीलिए गिरीश चौधरी को यहां बसपा सुप्रीमो मायावती की मीटिंग करानी पड़ी है। यहां पिछले यानि 2018 के विधानसभा चुनाव में बसपा के जसवीर सिंह के 8.49 प्रतिशत वोट ही मिला था। जबकि 2013 में दलबीर सिंह ने बसपा के टिकट पर 23.58 प्रतिशत वोट लिए थे। तब उनका मुकाबला सीधे भाजपा के विजय बंसल से था। हालांकि यहां हरियाणा की जन नायक जनता पार्टी के भी उम्मीदवार मोहन चौधरी खड़े हैं। लेकिन, शहर में उनका कहीं कोई प्रभाव नजर नहीं आ रहा है।

क्या है जातीय समीकरणः
भरतपुर विधानसभा सीट में मुख्य रूप से जाट, ब्राह्मण, वैश्य और अनुसूचित जाति के मतदाता हैं। अगर जातीय समीकरणों की बात करें तो गिरधारी तिवारी के भाजपा प्रत्याशी विजय बंसल के पक्ष में बैठने से ब्राह्मण वोट बंटेगा। तिवारी भाजपा को कितना वोट दिला पाते हैं, यह 3 दिसंबर को ही पता चलेगा। वैसे ब्राह्णण वोटों में पैठ रखने वाले कई नेता डॉ. सुभाष गर्ग के साथ लगे हैं। अब बात रही जाट वोटरों की तो चौधरी चरण सिंह, चौधरी अजीत सिंह के कारण राष्ट्रीय लोकदल का जाट वोटरों में खासा प्रभाव रहा है। राज परिवार के सदस्य और कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह का साथ मिलने से गर्ग को ज्यादा फायदा होने की उम्मीद है। वहीं काम और मिलनसार स्वभाव के आधार पर वैश्य वर्ग में भी गर्ग ज्यादा पसंद किए जा रहे हैं। अनुसूचित जाति का वोट और आजाद समाज पार्टी में बंट सकता है। मुस्लिम वोट भाजपा को मिलने की कतई संभावना नहीं है।

मतदाताओं के साथ मुद्दों की बातः

अगर मुद्दों की बात करें तो यहां कानून-व्यवस्था काफी बड़ा मुद्दा है। नशा, बजरी का अवैध कारोबार सबसे बड़ी समस्या है। इसका बड़ा कारण बेरोजगारी है। ताजमहल के कारण यहां बड़े उद्योग लग पाना संभव नहीं हो पाता है। इसलिए पर्यटन और आईटी उद्योग से ही उम्मीद है। ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने और कानून बनाने की गारंटी सरकारी कर्मचारियों में काफी चर्चित हैं। लोग यह भी मान रहे हैं कि चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना से काफी फायदा हुआ है। मुफ्त अन्नपूर्णा राशन किट, 500 रुपए में रसोई गैस सिलेंडर और बालिकाओं को मोबाइल वितरण जैसे मुद्दे मतदाताओं को लुभा रहे हैं।


अब बात चुनावी आंकडों कीः

अगर आंकड़ों की बात करें तो भरतपुर विधानसभा क्षेत्र में करीब 2.70 लाख मतदाता हैं। पिछले यानि 2018 के चुनाव की बात करें तो यहां भाजपा को 21.39%, आरएलडी को 30.43%, भारत वाहिनी पार्टी को 20.38%, दलवीर सिंह निर्दलीय को 13.96%, और बसपा को 8.49% वोट मिले थे। इनमें आरएलडी के डॉ. सुभाष गर्ग ने 53869, भाजपा के विजय बंसल ने 37159, भारत वाहिनी पार्टी के गिरधारी तिवारी ने 35407, निर्दलीय दलबीर सिंह ने 24258, बसपा के जसवीरसिंह ने 15018 और आम आदमी पार्टी के संजीव गुप्ता ने 2169 वोट लिए थे।

इसी तरह साल 2013 के चुनाव में भाजपा के विजय बंसल ने भाजपा- 57515 यानि 38.94 प्रतिशत वोट लिए थे। जबकि बसपा के दलबीर सिंह को 34821 यानि 23.58 प्रतिशत वोट मिले। बतौर निर्दलीय प्रत्याशी गिरधारी तिवारी ने 32185 यानि 21.79 प्रतिशत वोट लिए। वहीं कांग्रेस के महेंद्र तिवारी को 14616 यानि 9.9 प्रतिशत और निर्दलीय प्रत्याशी राघवेंद्र सिंह को 1607 यानि 1.09 प्रतिशत वोट मिले थे।

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