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अजमेर। अजमेर की ऐतिहासिक आनासागर झील, जो कभी अपनी प्राकृतिक सुंदरता और पर्यावरणीय महत्व के लिए जानी जाती थी, अब गंभीर पर्यावरणीय संकट का सामना कर रही है। मालवीय नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमएनआईटी) द्वारा सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत की गई हालिया रिपोर्ट ने इस झील में खतरनाक प्रदूषण स्तर और इसके आसपास के हरित क्षेत्र की भारी कमी का खुलासा किया है।
भारी धातुओं से "विषैला" हुआ झील का पानी
एमएनआईटी की रिपोर्ट के अनुसार, आनासागर झील के पानी में जिंक और लेड जैसी भारी धातुओं की अत्यधिक मात्रा पाई गई है। झील के मध्य भाग में जिंक का स्तर 1.57 पीपीएम से लेकर "टापू" क्षेत्र के पास 4 पीपीएम तक पाया गया, जो सामान्य स्तर से काफी अधिक है। सीवेज और सतही बहाव (surface runoff) के कारण पानी जहरीला हो गया है, जबकि झील में अभी भी मछली पालन और जलीय कृषि (aquaculture) जारी है।
रिपोर्ट ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि मत्स्य विभाग द्वारा इस विषैले पानी में मछली पालन की अनुमति दी जा रही है, जो न केवल पर्यावरण बल्कि मानव स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा है।
पाथवे निर्माण और जलग्रहण क्षेत्र पर असर
झील के चारों ओर बनाए गए पाथवे ने इसके जलग्रहण क्षेत्र (submergence area) को सीमित कर दिया है, जिससे झील की जल ग्रहण क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। यह झील के जल स्तर में गिरावट और इसके पारिस्थितिकी तंत्र पर दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकता है।
हरित क्षेत्र में भारी कमी
आजाद पार्क, गांधी स्मृति उद्यान, लव कुश उद्यान और सेवन वंडर्स पार्क जैसे क्षेत्रों में हरित आवरण (green cover) में भारी कमी दर्ज की गई है। रिपोर्ट के अनुसार, इन क्षेत्रों में स्थायी निर्माण कार्यों के कारण हरियाली को हटाकर कंक्रीट की संरचनाएं बनाई गई हैं, जिससे स्थानीय जैव विविधता और पर्यावरण संतुलन को नुकसान पहुंचा है।
सेटेलाइट छवियों से हुआ खुलासा
एमएनआईटी ने 2016 से 2024 के बीच सेटेलाइट छवियों का अध्ययन कर पाया कि इस अवधि में झील के आसपास निर्माण कार्यों में तेजी से वृद्धि हुई है। इससे झील का पारिस्थितिकी तंत्र और जलग्रहण क्षेत्र प्रभावित हुआ है।
अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया जारी
राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश के बाद अजमेर नगर निगम और अजमेर विकास प्राधिकरण ने झील के आसपास अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया शुरू की है। सीमांकन और अतिक्रमण को सिज़ करने के कार्य पहले ही पूरे किए जा चुके हैं।
अगली सुनवाई 22 जनवरी 2025 को
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 22 जनवरी 2025 के लिए निर्धारित की है। अदालत ने राज्य सरकार और संबंधित विभागों से इस मुद्दे पर जवाब मांगा है।
अजमेर की आनासागर झील को बचाने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है। यदि जल प्रदूषण और हरित क्षेत्र की कमी पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह ऐतिहासिक जलाशय अपनी प्राकृतिक महत्ता और पर्यावरणीय संतुलन खो सकता है।
स्रोत : खास खबर नेटवर्क
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