कुल्लू । अखिल भारतीय साहित्य परिषद् की बैठक कुल्लू में वन विभाग के सभागार में की गई। बैठक में परिषद् द्वारा किए गए कायों के बारे में गहन चर्चा की गई। बैठक की अघ्यक्षता परिषद् की प्रांतीय अघ्यक्षता डॉ रीता सिंह ने की। परिषद् के पदाधिकारियां एवं सदस्यों ने डॉ रीता सिंह को भारतीय वित मन्त्रालय मेें हिन्दी सलाहकार एवं हिमाचल प्रदेश कला, भाषा एवं संस्कृति अकादमी के सदस्य मनोनीत करने पर बधाई देते हुए कुल्लूवी परपंरा के साथ सम्मानित किया। इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार छेरिंग दौरजे एवं सूरत राम ठाकुर को हिमाचल प्रदेष भाषा एवं संस्कृति अकादमी के सदस्य बनने पर बधाई दी। डॉ रीता सिंह ने हिमाचल प्रदेष के मुख्यमंत्री जय राम का धन्यवाद करते हुए कहा कि जो जिम्मेवारी मुझे सौंपी गई है उसे कर्तव्य निष्ठा से निभाउंगी। डॉ रीता सिंह जानकारी देते हुए बताया कि अखिल भारतीय साहित्य परिषद् का प्रांतीय कार्यालय कुल्लू में बनाया गया है। परिषद की कार्यकारिणी भंग कर दी गई है जिसमें सभी पदाधिकारियों की सदस्यता रद्द कर दी गई है जब तक अगली चयन प्रक्रीया पूरी नहीं हो जाती। बैठक में चर्चा करने के बाद सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि अखिल भारतीय साहित्य परिषद् में राज सिंह राज को महासचिव तथा प्रताप सिंह अरनोट को प्रसार सचिव के पद पर नियुक्त किया गया। उन्होंने साहित्य क्षेत्र से जूड़े सभी साहित्यकारों से अखिल भारतीय साहित्य परिषद् से जुड़ने के लिए आग्रह किया ताकि वह समाज के उत्थान के लिए अपना योगदान दे सके। इस संगोष्ठी में ईश्वरी प्रसाद शर्मा एवं सत्यपाल भटनागर ने कला, भाषा एवं संस्कृति विभाग से अपना सुझाव रखते हुए कहा कि कुल्लू का इतिहास बहुत प्राचीन माना जाता हे जिसमें देव संस्कृति में लोक गायन व वाद्य यंत्रों की पहचान खत्म होती जा रही है इसके संरक्षण एवं संबर्धन के लिए प्रयास करना चाहिए नहीं कोई ऐसा समय आएगा पाश्यचात्य गायन-वादन के चलते हमारी संस्कृति की पहचान सब खत्म हो जाएगी। काष्ठ मूर्ति कलाकार दूर्गा प्रसाद राव ने हिन्दु धार्मिक ग्रंथ गीता के बारे में चर्चा की कि गीता में दिए गए उपदेषों का पालन हर मानव को करना चाहिए जिससे मानव जाति का क्रल्याण हो सके। हिमाचल स्वर कोकिला सरला चम्बयाल ने विलुप्त होती कुल्लूवी बोली एवं शब्दों के प्रति गहरी चिंता जताई। उन्होंने इसके संरक्षण एवं संवर्धन के लिए एक पुस्तक प्रकाशन कर रही हैं जिसमें कुल्लूवी भाषा में विलुप्त हो रहे शब्दों का संकलन किया है। राज पाल कौषाल, दिलबाग व सिंह उषा देवी ने भी उपरोक्त विषय पर अपने विचार सांझा किए। बैठक में परिषद् के पदाधिकारियों एवं सदस्यों के अलावा कुल्लू के जाने माने साहित्यकारों ने भाग लिया।
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