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मंडियों में भी चला देशभक्ति का जुनून – तुर्किये के सेब पर पूर्ण विराम
khaskhabar.com: शुक्रवार, 16 मई 2025 12:36 PM
चंडीगढ़। कुछ फैसले व्यापार से नहीं बल्कि भावनाओं से आते हैं। हरियाणा की मंडियों में आजकल कोई सरकारी नोटिस नहीं लगा, न ही कोई बड़ा भाषण दिया गया, लेकिन एक जोरदार संदेश साफ तौर पर दिया गया कि देश हमारे साथ नहीं है, तो उसके नतीजे भी हमारे नहीं हैं! इस बार बात जामुन की नहीं, सेब की है! हरियाणा की मंडियों में अब तुर्की से आए चमचमाते, लिपटे विदेशी सेब नहीं दिखेंगे। क्यों? यह सिर्फ सेब नहीं, भावनाओं का मामला है।
तुर्की से आए सेब : मंडियों से बाहरहरियाणा के आढ़तियों का कहना है कि जो देश हमारी पीठ में छुरा घोंपता है, उसके उत्पादों का प्रचार हम क्यों करें? ऑपरेशन सिंधुर के दौरान पाकिस्तान को तुर्की की मदद ने सीधे तौर पर हरियाणा की धड़कन को चोट पहुंचाई। एक के बाद एक यमुनानगर, पिंजौर, कैथल की मंडियों ने ऐलान कर दिया कि तुर्की के सेब हमारे देश में नहीं बिकेंगे।
सर्वसम्मति से हरियाणा सब्जी मंडी एसोसिएशन ने यह फैसला लिया। उन्होंने कहा कि अब से मंडियों में सिर्फ भारतीय सेब यानी कश्मीर और हिमाचल के लाल और खट्टे-मीठे सेब ही बिकेंगे।
फीके विदेशी सेब, चमके कश्मीरी फलजगाधरी मंडी के आढ़ती प्रवेश बताते हैं कि अभी तुर्की के सेब को कोई पूछने वाला नहीं है। मुश्किल से रोजाना 10 पेटी आती हैं, वो भी स्पेशल ऑर्डर पर। कश्मीरी सेबों की मांग अब कई गुना बढ़ गई है। ग्राहक भी सवाल करते हैं कि हम ऐसे देश के फल क्यों खाएं जो हमारा विरोध करता है।
पानीपत के हैंडलूम व्यापारियों की बढ़ी चिंता यह फैसला इससे भी आगे निकल गया केवल फल। इसका असर हाल ही में कपड़ा उद्योग पर भी पड़ा है। हैंडलूम और होम डेकोर का केंद्र माने जाने वाले पानीपत के निर्यातक चिंतित हैं। तुर्की से आने वाले 100 करोड़ रुपये के ऑर्डर अधर में लटके हुए हैं। पर्दे, चादरें, बाथ मैट सब कुछ तैयार है, लेकिन खरीदार अभी भी संभलने की स्थिति में हैं। इस पर बोलते हुए एक व्यापारी ने कहा कि हमारे रिश्ते व्यापार के नहीं, बल्कि विश्वास के हैं।
इंसानियत से मिले धोखे का जवाबजब तुर्की में भूकंप आया, तो भारत ने बिना किसी सीमा के तुर्की की मदद की। प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया को दिखाया कि मानवता धर्म या सीमा नहीं देखती। लेकिन जब मदद करने का समय आया, तो तुर्की ने पाकिस्तान का साथ दिया। यह एक ऐसी बात है, जिसे हरियाणा के व्यापारी भूल नहीं सकते। इसके अलावा, अब से मंडियों में एक ही नारा है: दुश्मन के दोस्त हमारे मेहमान नहीं हो सकते!
तुर्की के सेब अब इतिहास बन चुके हैं; कश्मीरी सेब अब भावना बन चुके हैं। हरियाणा के कमीशन एजेंट अब सिर्फ अपना काम करने के बजाय सक्रिय रूप से लेन-देन कर रहे हैं। संदेश यह दिया जा रहा है कि देश के लिए इससे बड़ा कोई सौदा नहीं है।
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