फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होली का पर्व मनाया जाता है। शास्त्रों की
मानें तो पूर्णिमा के दिन ही होलिका दहन किया जाता है। इसके अगले दिन
रंगों से खेलने की परंपरा है जिसे रंगवाली होली, धुलेंडी, धुलंडी और धूलि
आदि नामों से भी जाना जाता है। आपको बता दें कि इस बार एक मार्च को सुबह 8
बजे से पूर्णिमा तिथि लग रही है। लेकिन पूर्णिमा के साथ भ्रद्रा भी लग रहे
हैं। ऐसी मान्यता है कि भद्रा में होलिका दहन नहीं किया जाता है। इसलिए
भद्रा समाप्त होने के बाद होलिका दहन किया जाएगा। इसके अलावा होलिका दहन के
लिए पूजा भी दोपहर में 12.08 से 12.54 तक की जा सकती है। राहुकाल दोपहर
1.56 मिनट से 3.24 मिनट दिन तक रहेगा।
होलिका दहन का शुभ-
एक
मार्च को सुबह 8 बजकर 58 मिनट से पूर्णिमा तिथि लग रही है लेकिन इसके साथ
भद्रा भी लगा होगा। ऐसा नियम है कि भद्रा काल में होलिका दहन नहीं करना
चाहिए। शाम में 7 बजकर 40 मिनट पर भद्रा समाप्त हो जाएगा। इसके बाद से
होलिका दहन किया जाना शुभ रहेगा।
होलिका दहन के लिए तीन चीजों का एक साथ
होना बहुत ही शुभ होता है। पूर्णिमा तिथि हो, प्रदोष काल हो और भद्रा ना
लगा हो। इस साल होलिका दहन पर ये तीनों संयोग बन रहे हैं इसलिए होली
आनंददायक रहेगी। इस बार होलिका दहन का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 26 मिनट से
लेकर 8 बजकर 55 मिनट तक रहेगा।
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