नई दिल्ली । हमारे घर की रसोई में स्वाद के साथ-साथ हमारी सेहत के भी कई सारे खजाने छिपे रहते हैं, ऐसा ही एक खजाना है पिप्पली! यह एक आयुर्वेदिक औषधि है जो पाचन, श्वसन और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से छुटकारा दिलाने में उपयोगी है। पिपली अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और सांस की समस्या से जूझ रहे लोगों पर जबरदस्त असर करती है।
यह कफ और बलगम निकालने में मदद करता है। चूंकि इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण हैं, इसलिए यह दर्द निवारक के तौर पर काम करता है और जोड़ों के दर्द और सूजन कम करने में मददगार साबित होता है। चरक संहिता में पिप्पली को एक महत्वपूर्ण औषधि के रूप में वर्णित किया गया है, जिसका उपयोग विभिन्न रोगों के उपचार में किया जाता है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
यह विशेष रूप से खांसी, श्वसन संबंधी बीमारियों, और पाचन संबंधी समस्याओं के लिए उपयोग की जाती है। सुश्रुत संहिता में इसे दहन उपकर्ण के तौर पर जाना जाता है, यानी ऐसी औषधि जो त्वचा संबंधी तकलीफों को कम करने में मदद करती है। दरअसल, यह खून साफ कर कील-मुहांसों, मुहांसों, खुजली जैसी दिक्कतों को दूर करती है।
आयुर्वेद के अनुसार, यह पाइपरेसी परिवार की एक फूलदार बेल है, जिसे इसके फल के लिए उगाया जाता है, जिसे आमतौर पर सुखाया जाता है और मसाले के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। लंबी मिर्च का स्वाद अपने करीबी रिश्तेदार पाइपर नाइग्रम के समान होता है, लेकिन उससे ज्यादा मीठा और कम तीखा होता है - जिससे काली, हरी और सफेद मिर्च प्राप्त होती है। यह मेटाबॉलिज्म बढ़ाने में मदद करती है और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण सूजन कम करने में भी सहायक होती है।
इसे इम्यूनिटी बूस्टर भी कहा जाता है। यह पाचन तंत्र से लेकर श्वसन तंत्र तक को नियंत्रण में रखती है। इसकी तासीर गर्म होती है, जिस वजह से गर्भवती महिलाओं को इससे बचने की सलाह दी जाती है। आयुर्वेद के मुताबिक, पिपली अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और सांस की समस्या से जूझ रहे लोगों पर जबरदस्त असर करता है। यह कफ और बलगम निकालने में मदद करता है।
पिप्पली से मेटाबॉलिज्म तेज गति से होता है। यह गुर्दे की सेहत का ख्याल रखता है और मूत्र विकार को भी दूर करता है। वैसे आमतौर पर दादी-नानी के नुस्खों में भी इसका जिक्र बड़े अदब से होता है। कहा जाता है कि 1/4 से 1/2 चम्मच शहद या गर्म पानी के साथ लें तो फायदा होता है और अगर खांसी-जुकाम है और चूर्ण फांकने में दिक्कत है, तो पिपरामूल को उबालकर पीने से भी फायदा होता है। अगर यह भी संभव न हो, तो डॉक्टर की सलाह पर कैप्सूल और टैबलेट रूप में प्रयोग कर सकते हैं।
--आईएएनएस
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