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चलती ट्रेन में रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती मनाकर महिला यात्रियों ने पेश की मिसाल

Women passengers set an example by celebrating Rabindranath Tagore birth anniversary in a moving train - News in Hindi

फूलों से सजी ट्रेन, गीत-संगीत और नृत्य के जरिए कवि को दी गई अनूठी श्रद्धांजलि
कोलकाता। पश्चिम बंगाल की साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत को जीवंत बनाए रखते हुए, कोलकाता की महिला रेल यात्रियों ने कविवर रवींद्रनाथ टैगोर की 165वीं जयंती को एक अनोखे और प्रेरणादायक अंदाज में मनाया। यह आयोजन किसी सभागार या मंच पर नहीं, बल्कि एक चलती लोकल ट्रेन में हुआ — जो अपने आप में एक नई मिसाल बन गया।
सोमवार सुबह 7:56 बजे सियालदह से हावड़ा पहुंची लोकल ट्रेन के महिला डिब्बे में जैसे ही यात्रियों ने कदम रखा, माहौल बदल चुका था। डिब्बे को फूलों, रंगीन कागज़ों और टैगोर की तस्वीरों से सजाया गया था। हर कोना सौंदर्य और श्रद्धा की भावना से भरा हुआ था। यात्रियों के लिए यह केवल एक सफर नहीं था, बल्कि साहित्य और संगीत से जुड़ने का एक जीवंत अनुभव बन गया।
ट्रेन जैसे ही हावड़ा स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 2 पर पहुंची, वहां मौजूद महिला यात्रियों और आयोजनकर्ताओं ने मिलकर डिब्बे के भीतर और बाहर सजावट का काम पूरा किया। कवि रवींद्रनाथ टैगोर की तस्वीर वाला एक बैनर ट्रेन के सामने लटकाया गया और बाहरी हिस्से को भी फूलों की लड़ियों से सजाया गया।
डिब्बे के भीतर एक तरफ टैगोर की तस्वीर को सजाया गया और कुछ महिलाएं गुलाब और गेंदे के फूलों से ट्रेन के भीतर रंग-बिरंगे पैटर्न बना रही थीं। टैगोर के लोकप्रिय गीतों की धुन वातावरण में गूंज रही थी।
रवींद्र संगीत और नृत्य बना मुख्य आकर्षण
इस आयोजन का सबसे आकर्षक हिस्सा था टैगोर के गीतों पर प्रस्तुत किया गया नृत्य। हाबड़ा स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 2 पर एक कुर्सी को फूलों से सजाकर मंच की तरह उपयोग किया गया, जहां युवा बालिकाएं रवींद्रनाथ संगीत की धुन पर भावनात्मक और भावपूर्ण नृत्य प्रस्तुत कर रही थीं। यह दृश्य देखने के लिए प्लेटफॉर्म पर खड़े यात्रियों की भीड़ लग गई।
कुछ यात्रियों ने इस भावुक पल को कैमरे और मोबाइल में कैद किया, तो कुछ ने तालियां बजाकर इस सांस्कृतिक प्रस्तुति की सराहना की।
आयोजन की प्रमुख आयोजिकाएं
इस अद्वितीय आयोजन की मुख्य सूत्रधार रहीं अंजना बनर्जी और सयानी मुखर्जी दासगुप्ता, जो क्रमशः एक शिक्षा उद्यमी और स्कूल शिक्षिका हैं। उनके साथ नई पीढ़ी की कई युवतियों ने मिलकर इस प्रयास को अंजाम दिया।
अंजना बनर्जी ने कहा, “हम चाहते थे कि टैगोर की जयंती को सिर्फ औपचारिक कार्यक्रमों तक सीमित न रखा जाए, बल्कि इसे आम लोगों तक ले जाया जाए। ट्रेन में मनाया गया यह आयोजन एक नया प्रयोग है, जो लोगों से सीधा जुड़ता है।”
ट्रेन से शुरू हुआ सांस्कृतिक सफर
सुबह 8:40 बजे सभी आयोजक रवींद्रनाथ की तस्वीर के साथ ट्रेन में सवार हुए, और ठीक 8:55 बजे ट्रेन हावड़ा से सियालदह के लिए रवाना हुई। सफर के दौरान दैनिक यात्रियों को लड्डू बांटे गए, और कुछ स्टेशनों पर खिड़कियों से यात्रियों ने आयोजन की झलक पाई।
यह केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक भावनात्मक और सामाजिक संदेश भी था कि साहित्य, संगीत और संस्कार को जनसाधारण तक ले जाना कितना जरूरी और प्रभावशाली हो सकता है।
यात्रियों की प्रतिक्रियाएं
ट्रेन में सफर कर रही एक वरिष्ठ महिला यात्री ने कहा, “मैंने अपने जीवन में कई आयोजन देखे हैं, लेकिन चलती ट्रेन में ऐसा आयोजन पहली बार देखा। ये सिर्फ जयंती नहीं, एक आंदोलन है — संस्कृति को आम लोगों के बीच लाने का।”
वहीं एक युवा छात्रा ने कहा, “टैगोर सिर्फ एक कवि नहीं हैं, वो हमारी आत्मा हैं। उन्हें याद करने का इससे बेहतर तरीका नहीं हो सकता।”

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Web Title-Women passengers set an example by celebrating Rabindranath Tagore birth anniversary in a moving train
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