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भोपाल की युवा कलाकार ऋचा कुशवाहा ने किया आईपन पेंटिंग वर्कशॉप का संचालन
khaskhabar.com: सोमवार, 15 नवम्बर 2021 5:26 PM
जयपुर । आईपन एक पारम्परिक पेंटिंग कला है जिसका उद्गम कुमाउं में हुआ था। सामाजिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक महत्व से जुड़ी यह कला वर्तमान में उत्तराखंड राज्य में सर्वाधिक प्रचलित है। यह कहना था भोपाल की युवा कलाकार ऋचा कुशवाहा का। वे सोमवार को राजस्थान स्टूडियो की सहायता से भारत की आर्टिस्ट कम्यूनिटी ‘द सर्किल‘ के लिये आयोजित ‘लक्ष्मी पद आईपन‘ की ऑनलाईन वर्कशॉप में सम्बोधित कर रहीं थी। वर्कशॉप का आयोजन आजादी का अमृत महोत्सव - सेलिब्रेटिंग इंडिया एट 75 के तहत किया गया।
ऋचा ने आगे बताया कि आईपन कला में पारम्परिक तौर पर महिलाओं द्वारा पूजा स्थल, घर के प्रवेश द्वार के फर्श अथवा दीवारों पर गेरू मिट्टी से बेस बना कर चॉक अथवा राईस पाउडर से डिजाईन बनाये जाते हैं। इस आर्ट फार्म का उपयोग गणेश चतुर्थी, दुर्गा पूजा, दिवाली के अवसर पर समारोह के अनुसार स्वास्तिक, नव दुर्गा चौकी, सरस्वती चौकी अथवा लक्ष्मी पद बनाने के लिये किया जाता है। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश एवं राजस्थान में इसे मांडणा, पश्चिम बंगाल एवं ओडिशा में अल्पना के नाम से भी जाना जाता है।
ऋचा ने सर्वप्रथम लाल रंग की हैण्डमैंड पेपर शीट पर वाईट पोस्टर कलर से ट्राइएंगल पैटर्न से बार्डर बनाई। इसके बाद उन्होंने पेपर शीट के केन्द्र में सर्किल बना कर ‘एस‘ पेटर्न के लक्ष्मी पद चिन्ह की आकृति बनाई और अन्य डिजाइन बना कर सर्किल को डेकोरेट किया। इस दौरान उन्होंने विभिन्न आकृति के लक्ष्मी पद चिन्ह बनाने भी सीखाये। उन्होंने बताया कि पेंटिंग में मैट फिनिश लाने के लिये पोस्टर कलर का उपयोग किया जाता है, जबकि ऐक्रेलिक कलर से इसका लुक ग्लॉसी आता है।
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