रोहतक/चंडीगढ़। पलवल जिले के गांव पातली कलां निवासी रणबीर सिंह ने मोटी खेती से फूलों की खेती की ओर कदम बढ़ाया तो फिर पीछे मुडक़र नहीं देखा। फूलों की खेती ने उनकी जिंदगी को इस तरह से संवारा कि उन्होंने अपने बच्चों के लिए नौकरी की इच्छा को ही छोड़ दिया। युवाओं को वे फूलों की खेती को स्वरोजगार के रूप में अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं ताकि उनकी जिंदगी भी फूलों की भांति महक उठे।
वृद्ध किसान रणबीर सिंह हरियाणा के रोहतक में आयोजित तृतीय कृषि नेतृत्व शिखर सम्मेलन में फूलों की खेती प्रदर्शित कर रहे हैं। किसान बाजार स्टॉल में वे युवाओं को फूलों की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। उन्होंने वर्ष 1990 में फूलों की खेती की ओर कदम बढ़ाए। इसके पहले वे मोटे अनाज की खेती करते थे। अपने एक मित्र के लिए फूलों का फॉर्म लगाने से उनकी शुरुआत हुई। बस फिर क्या था। फूलों की खेती से उनकी जिंदगी महकती चली गई। उन्होंने जमीन किराये पर लेकर भी फूलों की खेती की, जिससे उनकी आर्थिक आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। उनके पास 2 एकड़ भूमि है तथा 7 एकड़ भूमि वे किराये पर लेकर खेती कर रहे हैं। इसमें 5 एकड़ में फूलों की खेती करते हैं। जबकि 4 एकड़ में गेहूं उत्पादन कर रहे हैं। उनकी वार्षिक आय 18 लाख से 20 लाख रुपए तक हो जाती है। किसान रणबीर सिंह विशेष रूप से विदेशी फूलों की खेती कर रहे हैं, जिसमें गुलदावरी, स्टैटिस, स्कोका, बासिका, केल, रजनीगंधा तथा गलेड्स शामिल हैं।
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