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जयपुर। पांच सौ व हजार के पुराने नोटों को बंद कर जमा करने का केंद्र सरकार का फैसला बैंक शाखाओं को भारी पड़ रहा है। हालात ये है कि कुछ लाख रुपए की क्षमता वाली बैंक शाखा में क्षमता से अधिक पुराने नोट जमा हो गए हैं। उनको रखने और संभालने में दिक्कत आ रही है। सूत्रों के अनुसार नोटबन्दी के बाद पांच सौ व हजार के नोट जमा कराने के कारण ज्यों-ज्यों लोगों के खाते भरे, बैंकों की तिजोरियां भी भरती गईं। शाखा हो या चेस्ट, ज्यादातर जगह पुराने नोटों का अम्बार लग गया। कुछ बैंक अधिकारियों ने बताया, नोटबंदी के बाद देश के बैंकों में 12 लाख करोड़ रुपए पहुंचे हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बैंकों की तिजोरियों के हाल क्या होंगे। पुराने नोटों के ढेर लगे हैं, उन्हें रखने के लिए भी मशक्कत करनी पड़ रही है। चेस्ट में जगह की कमी के कारण आरबीआई भी अभी पुराने नोट नहीं ले रहा। आरबीआई का ध्यान अभी नए नोटों की जनता तक सप्लाई पहुंचाने पर लगा है। जिन शाखाओं की लिमिट कुछ लाख रुपए है, वहां करोड़ों रुपए जमा हैं। दस-बीस लाख की क्षमता के मुकाबले 30-40 करोड़ रुपए पड़े हैं। लगभग सभी प्रमुख बैंकों की चेस्ट शाखाओं का यही हाल है। इस बारे में राजस्थान प्रदेश बैंक एम्पलॉयज यूनियन के उपमहासचिव लोकेश मिश्रा पूरा सिस्टम अभी नोट वितरण में व्यस्त है इसलिए, आरबीआई अभी पुराने नोट कम ही ले रहा है। ये नोट जमा होने का काम दिसम्बर बाद होगा। इसके बाद ही बैंकों में जगह की समस्या दूर हो पाएगी।
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