• Aapki Saheli
  • Astro Sathi
  • Business Khaskhabar
  • ifairer
  • iautoindia
1 of 2

नोटबंदी के कारण लोगों को हुई भारी परेशानी : सर्वेक्षण

नई दिल्ली। नोटबंदी के एक साल पूरा होने की पूर्व संध्या पर मंगलवार को जारी किए गए एक देशव्यापी सर्वेक्षण में 63 फीसदी प्रतिभागियों ने सरकार द्वारा पिछले साल 8 नवंबर को एकाएक की गई नोटबंदी के कारण ‘गंभीर परेशानियां’ उठाने की बात कही, जबकि 65 फीसदी लोगों ने कहा कि उन्होंने नोटबंदी के कारण शादियां स्थगित होते देखीं। ‘अनहद’ समेत 32 अन्य नागरिक संगठनों द्वारा किए गए इस सर्वेक्षण में उन लोगों के नाम भी शामिल हैं, जो बैंकों की कतार में व नोटबंदी से जुड़े अन्य कारणों से मारे गए। इस सर्वेक्षण में ज्यादातर प्रतिभागियों (55 फीसदी बनाम 26.6 फीसदी) ने इस बात से असहमति जताई कि इस कदम से काला धन हमेशा के लिए मिट सकता है। इसके साथ ही 48.2 फीसदी लोगों ने इस पर भरोसा नहीं किया कि नोटबंदी के कारण आंतकवादियों के वित्त पोषण में किसी प्रकार की कमी आई है। 20 फीसदी लोगों का यह मानना था कि इस कदम से आम आदमी को फायदा होगा।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली में 71.8 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि उन्होंने लोगों को नोटबंदी के कारण ‘भारी परेशानी’ का सामना करते देखा। यहां तक कि गंभीर रूप से बीमार मरीजों को इलाज नहीं मिल रहा था, क्योंकि वे ‘नोटबंदी’ के बाद नई मुद्रा में भुगतान करने में असमर्थ थे। सर्वेक्षण में शामिल 50 फीसदी लोगों ने कहा कि उनके जानने वालों में से किसी ना किसी की नौकरी नोटबंदी की वजह से चली गई। 65 फीसदी प्रतिभागियों का कहना था कि उन्होंने किसी नेता या अमीर आदमी को किसी बैंक की लाइन में या एटीएम की लाइन में खड़े नहीं देखा। उनका कहना था कि उन्हें ऐसा नहीं लगा कि नोटबंदी के कारण अमीरों को कोई परेशानी हुई हो।

सर्वेक्षण में 96 प्रश्न शामिल किए गए थे और यह 2016 के दिसंबर से 2017 के जनवरी के बीच 21 प्रमुख राज्यों में किया गया, जिसमें दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। सर्वेक्षण के इन नतीजों को सामाजिक कार्यकर्ता जॉन दयाल, गौहर रजा, पी.वी.एस. कुमार और सुबोध मोहंते ने नोटबंदी के एक वर्ष पूरे होने के मौके पर मंगलवार को जारी किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा की थी। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के सेवानिवृत्त वैज्ञानिक और इस रिपोर्ट के लेखकों में से एक गौहर रजा ने कहा, ‘‘इन आंकड़ों को 2016 के दिसंबर और 2017 के जनवरी के बीच संग्रहित किया गया था, जब लोगों की भावनाएं नियंत्रित मीडिया चैनलों द्वारा की जा रही चारों तरफ की बमबारी से अत्यधिक प्रभावित थीं।’’

रजा ने कहा, ‘‘झूठी कहानी रचकर लोगों को जमीनी सच्चाई से काटने की हर संभव कोशिश के बावजूद उन शुरुआती दिनों में एकत्र किए गए आंकड़े भी काफी कुछ कहानी बयान करते हैं। अगर यह सर्वेक्षण अभी किया जाता है तो परिणाम में इसकी भयंकर भत्र्सना देखने को मिलेगी।’’ इस रिपोर्ट में उन 90 लोगों की सूची दी गई है जो बैंक की लाइन में या नोटबंदी से जुड़े अन्य कारणों से मारे गए। उदाहरण के लिए जम्मू के सांबा जिले के दूंगा गाव का 8 वर्षीय बच्चे की तब मौत हो गई, जब नोटबंदी के कारण उसके पिता नए नोट नहीं होने के कारण उसका इलाज नहीं करवा पाए।

ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे

यह भी पढ़े

Web Title-People faced serious problems due to note ban: Survey
खास खबर Hindi News के अपडेट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक और ट्विटर पर फॉलो करे!
(News in Hindi खास खबर पर)
Tags: note ban first anniversary, modi government, demonetisation, people, serious problems, note ban, survey, hindi news, news in hindi, breaking news in hindi, real time news
Khaskhabar.com Facebook Page:

प्रमुख खबरे

आपका राज्य

Traffic

1 / 45

जीवन मंत्र

Daily Horoscope

वेबसाइट पर प्रकाशित सामग्री एवं सभी तरह के विवादों का न्याय क्षेत्र जयपुर ही रहेगा।
Copyright © 2025 Khaskhabar.com Group, All Rights Reserved