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इस बार अयोध्या में होगा विहंगम दृश्य, जलेंगे 15 लाख से ज्यादा दीपक

This time there will be a bird eye view in Ayodhya, more than 15 lakh lamps will be lit - Lucknow News in Hindi

अयोध्या । राम नगरी अयोध्या में लाखों दीयों का विहंगम दृश्य इसबार देखने को मिलेगा। यह भगवान राम के आने की खुशी नहीं होगी बल्कि यह प्रकृति की अलौकिक छवि होगी। अयोध्या के दीपोत्सव में 23 अक्टूबर को पतित पावनी सरयू तट की दाहिनी ओर राम की पैड़ी पर जलने वाले करीब 15 लाख दीपों का सरयू के प्रवाहित होते जल में दिखता प्रतिबिंब भव्यता का अहसास कराएगा। यूपी सरकार की ओर से छठे दीपोत्सव को भव्यतम बनाने में प्रशासन एवं शासन ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है। इसके लिए पिछले कई महीनों से स्थानीय प्रशासन तैयारियों में युद्ध स्तर पर जुटा है। शासन स्तर से भी इसकी लगातार समीक्षा की जा रही है। समय-समय पर शासन के शीर्ष अधिकारी मौके पर जाकर तैयारियों की जमीनी हकीकत को परख रहे हैं। 19 अक्टूबर को इसी मकसद से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद अयोध्या गये थे। इस दौरान उन्होंने श्रीरामजन्म भूमि के दर्शन पूजन एवं मंदिर निर्माण के प्रगति का निरीक्षण किया। साथ ही दीपोत्सव कार्यक्रम के स्थलों पर हो रही तैयारियों का निरीक्षण किया और इसी बाबत समीक्षा बैठक भी की।
दरअसल मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ की पहल से दीपावली से एक दिन पहले अयोध्या में दीपोत्सव की शुरूआत की गई। माना जाता है कि राम के वनवास से अयोध्या वापस आने पर वहां के लोगों ने खुशी में अपने घरों एवं चौबारों में दीपक जलाए। त्रेतायुग की उसी याद को ताजा करने के लिए दीपोत्सव की शुरूआत की गई। इस अवसर पर सरयू की भव्य आरती के अलावा पूरे अयोध्या, मंदिरों, मठों, घाटों, सड़कों, चौराहों, सार्वजनिक स्थानों की साज-सज्जा के साथ लाइटिंग, म्यूजिकल लेजर शो, म्यूजिकल ग्रीन फायर क्रैकर शो, एवं दीपकों से जगमग हो उठती है। अयोध्या में सरयू के दाहिने ओर राम की पैड़ी पर लाखों दीपकों का एक साथ जलते देखना तो खुद में अभूतपूर्व एवं अकल्पनीय होता है। सरयू के जल में पड़ता इनका प्रतिबिंब देख यही लगता है मानों आसमान के सभी चांद-सितारे भी अपने राम के वनवास से आने की खुशी में अयोध्या ही आ गए हों।

प्रयास यह रहता है कि पूरा परि²श्य बहुत हद तक वैसा ही हो जब भगवान श्रीराम, सीता, लक्ष्मण और अन्य साथियों के साथ पुष्पक विमान से अयोध्या लौटे थे।

दीपोत्सव के दिन भी दोपहर बाद राम, लक्ष्मण एवं सीता का स्वरूप बने मंचीय कलाकार हेलीकॉप्टर से लैंड करते हैं। मुख्यमंत्री समेत पूरी सरकार उनके स्वागत के लिए वहां मौजूद रहती है। इस बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भी आना प्रस्तावित है।

दीपोत्सव के नाते अयोध्या की देश-दुनियां में जबर्दस्त ब्रांडिंग हुई। हर साल दीप प्रज्वलन का गिनीज वल्र्ड रिकॉर्ड बना। वैश्विक महामारी कोरोना को अपवाद मान लें तो अयोध्या आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों/श्रद्धालुओं की मसलन 2017 के पहले दीपोत्सव के दौरान वहां सरयू के घाटों पर जलने वाले दीपकों की संख्या 1.71 लाख थी। तो 2018, 2019, 2021 एवं 2022 में यह बढ़कर क्रमश: 3.01, 4.04 , 6.06 व 9.41 लाख रही। दीपों की संख्या के लिहाज से हर साल गिनीज वल्र्ड रिकॉर्ड बना। इस साल 15 लाख दीप जलाने का लक्ष्य है। तैयारी 17 लाख दीपकों की की गई है। मसलन लगातार छठे साल भी अयोध्या के दीपोत्सव के नाम एक और गिनीज वल्र्ड रिकॉर्ड जुड़ जाएगा।

दीपोत्सव की वजह से हुई ब्रांडिंग की वजह से यहां आने वाले पर्यटकों/श्रद्धालुओं की संख्या भी बढ़ी है। मसलन 2017 में यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या 1,78,57,858 थी। 2018 में यह बढ़कर 1,95,63,159 हो गई। 2019 में यह संख्या 2,04,91,724 रही। 2020-2021 वैश्विक महामारी कोरोना का कालखण्ड था। लिहाजा इन वर्षों में क्रमश: 61,96,148 और 1,57,43,790 पर्यटक ही आये। 2022 में अगस्त तक अयोध्या आने वाले पर्यटकों की संख्या 2,21,38,805 रही। यह खुद में एक रिकॉर्ड है।

दीपोत्सव के अवसर पर भगवान राम की स्वीकार्यता अलग-अलग देशों के रामलीला का मंचन करने वाले कलाकारों के जरिए दिखती है। स्थानीय कलाकारों को भी अपना फन दिखाने का मौका मिलता है।

अब तक के पांच दीपोत्सव के दौरान इंडोनेशिया, श्रीलंका, त्रिनिदाद, रूस, लाओस, कम्बोडिया, नेपाल, फिलीपींस, फिजी, जम्मू कश्मीर, असम, गुजरात, कर्नाटक, पश्चिमी बंगाल के रामलीला दल अयोध्या में अपनी परंपरा के अनुसार रामलीलाओं का मंचन कर चुके हैं।

करीब तीन दशकों तक गोरखनाथ मन्दिर को कवर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार गिरीश पांडेय के मुताबिक, गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ का अयोध्या से पुराना रिश्ता रहा है। हाल के 100 वर्षों के दौरान राम मंदिर को लेकर जो भी आंदोलन हुआ उसमें योगी के दादा गुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ से लेकर उनके गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ केंद्रीय भूमिका में रहे। ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ श्रीराम जन्मभूमि यज्ञ समिति के आजीवन अध्यक्ष और श्री राम जन्मभूमि न्याय के शीर्ष पदाधिकारी रहे।

इस परिवेश की वजह से बतौर गोरखपुर के सांसद, पीठ के उत्तराधिकारी एवं पीठाधीश्वर होने के नाते योगी आदित्यनाथ का भी अयोध्या से खास लगाव रहा। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी अपने पूर्ववर्तियों की तरह इस लगाव पर कभी संकोच नहीं किया। नियमित अंतराल पर अयोध्या जाकर हर यात्रा में विकास की सौगात देकर इस लगाव को साबित भी किया। संयोग से जिस मंदिर आंदोलन में गोरक्षपीठ की महत्वपूर्ण भूमिका थी उसके पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी योगी के मुख्यमंत्रित्व काल में ही आया। रामलला की जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का काम भी उनके ही समय में हुआ। यही वजह है कि खुद की पहल से शुरू दीपोत्सव को भव्यतम बनाने में वह कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते।

--आईएएनएस

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