बागपत। जिले में एक सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी के परिवार की जमीन पर अवैध कब्जे का मामला अब प्रशासन और पुलिस के लिए चुनौती बनता जा रहा है। मामला उस समय तूल पकड़ गया जब पीड़ित परिवार ने उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की सदस्य मीनाक्षी भराला से मुलाकात कर न्याय की गुहार लगाई।
पीड़ित परिवार की महिला आयोग से मुलाकात ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
लेफ्टिनेंट कर्नल (सेवानिवृत्त) के माता-पिता ने मंगलवार को पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस बागपत में राज्य महिला आयोग की सदस्य मीनाक्षी भराला से मुलाकात की। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके स्वामित्व वाली जमीन पर स्थानीय लोगों ने जबरन कब्जा कर लिया है और शिकायतों के बावजूद बड़ौत कोतवाली पुलिस कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रही।
परिवार ने बताया कि जब पुलिस और प्रशासन की ओर से कोई सुनवाई नहीं हुई, तब लेफ्टिनेंट कर्नल ने अपने कुछ साथियों के साथ जाकर कब्जा की गई जमीन का गेट तोड़ा, जिसकी वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। वायरल वीडियो के बाद मामला और अधिक गरमाता गया।
विपक्षी पक्ष ने दर्ज कराया मुकदमा, पीड़ित परिवार पर पलटी कार्रवाई
इस घटनाक्रम के बाद जमीन पर अवैध कब्जा करने वाले पक्ष ने लेफ्टिनेंट कर्नल के माता-पिता और एक पड़ोसी के खिलाफ पुलिस में मुकदमा दर्ज करा दिया। इस उलटी कार्रवाई ने पूरे मामले को न्याय और प्रशासनिक निष्क्रियता के सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है।
महिला आयोग सदस्य ने दिए निष्पक्ष जांच के निर्देश
मीनाक्षी भराला ने मामले को गंभीर मानते हुए जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारियों से तत्काल संवाद स्थापित किया। उन्होंने कहा “जब एक लेफ्टिनेंट कर्नल के परिवार को जमीन के लिए संघर्ष करना पड़े और शिकायतों के बावजूद कार्रवाई न हो, तो यह बेहद चिंताजनक है। हमने राजस्व विभाग को भी निर्देशित किया है कि वह जमीन की स्थिति की बारीकी से जांच करे और निष्पक्ष रिपोर्ट दे।”
महिला आयोग ने इस बात पर जोर दिया कि पीड़ित पक्ष की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करना राज्य की जिम्मेदारी है।
प्रशासन और पुलिस पर उठ रहे सवाल
इस मामले में बागपत पुलिस और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि जमीन कब्जे जैसे मामलों में अकसर प्रभावशाली पक्ष को संरक्षण मिलता है, जबकि पीड़ित न्याय के लिए इधर-उधर भटकते हैं।
हालांकि पुलिस का कहना है कि मामले की निष्पक्ष जांच की जा रही है और दोनों पक्षों से बयान दर्ज किए जा रहे हैं। कोतवाली बड़ौत के एक अधिकारी ने कहा कि,
“हम जमीन संबंधित दस्तावेजों की जांच कर रहे हैं। किसी भी पक्ष को अनुचित लाभ नहीं दिया जाएगा।”
मामला बन सकता है मिसाल
यह प्रकरण केवल एक जमीन विवाद नहीं रह गया है, बल्कि यह सिस्टम में मौजूद प्रशासनिक निष्क्रियता और पुलिस की प्राथमिकताओं को उजागर करता है। खासकर जब मामला एक देश की सेवा कर चुके सैन्य अधिकारी के परिवार से जुड़ा हो, तो सवाल और भी गहरे हो जाते हैं।
महिला आयोग की सक्रियता ने जहां पीड़ित पक्ष को एक राहत दी है, वहीं प्रशासन के लिए यह एक चेतावनी भी है कि लापरवाही अब वायरल होकर न्याय की मांग बन चुकी है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राज्यसभा के लिए 4 सदस्यों को किया मनोनीत, उज्ज्वल निकम सहित इन लोगों का नाम शामिल
पीएम मोदी ने राज्यसभा के लिए मनोनीत चार प्रतिष्ठित व्यक्तियों को दी शुभकामनाएं
किम जोंग उन ने दोहराया, 'यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में रूस को हमारा पूरा समर्थन'
Daily Horoscope