मुंबई। सपनों की कोई एक्सपायरी डेट नहीं होती। बस ज़रूरत होती है कभी हार न मानने की। और आज ही का वो दिन है जब आनंद एल राय का एक सपना उड़ान भरता है। भारतीय दर्शकों को क्वालिटी सिनेमा देने का सपना। साल 2015 में आई कॉमेडी-ड्रामा निल बटे सन्नाटा इसी सोच की एक मिसाल थी। एक छोटी सी फिल्म, लेकिन एक बड़े संदेश के साथ यह फिल्म चुपचाप थिएटर में आई, और सीधे दर्शकों और क्रिटिक्स के दिलों में उतर गई।
आनंद एल राय की कलर यलो प्रोडक्शन्स के बैनर तले बनी इस फिल्म ने हमें याद दिलाया कि एक अच्छी कहानी को न तो बड़े सितारों की ज़रूरत होती है, न ही भारी-भरकम प्रमोशन्स की। बस एक ऐसा आइडिया चाहिए जो दिल से निकला हो और एक टीम जो उस पर पूरी शिद्दत से यकीन करती हो। निल बटे सन्नाटा की कहानी साधारण थी, लेकिन उसका असर असाधारण था। यह एक सिंगल मदर की कहानी थी, जिसे बेमिसाल अंदाज़ में निभाया स्वरा भास्कर ने एक ऐसी मां जो घरेलू सहायिका के रूप में काम करती है, लेकिन अपनी बेटी के लिए बड़े सपने देखती है।ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
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