नई दिल्ली। कांचीपुरम मठ के 69वें शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती का बुधवार को एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह 82 वर्ष के थे। एक अधिकारी ने बताया कि वह कुछ समय से बीमार थे। उन्हें बुधवार तडक़े ही निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लेकिन, अस्पताल में ही उनका निधन हो गया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
आईये, जानें-उनके जीवन से जुड़ी बड़ी बातें
- जयेंद्र सरस्वती का वास्तवकि नाम सुब्रमण्यन महादेव अय्यर था और उनका जन्म 18 जुलाई 1935 को हुआ था।
- 68वें शंकराचार्य चन्द्रशेखरेन्द्र सरस्वती ने सुब्रमण्यन को 22 मार्च 1954 को कांची मठ के पीठाधिपति के पद पर आसीन किया। उन्होंने ही इन्हें जयेंद्र सरस्वती का नाम दिया। उस वक्त वो मात्र 19 साल के थे।
-कांची मठ कांचीपुरम में स्थापित एक हिन्दू मठ है। यह पांच पंचभूतस्थलों में से एक है। यहां के मठाधीश्वर को शंकराचार्य कहते हैं। कांची मठ के द्वारा कई सारे स्कूल, आंखों के अस्पताल चलाए जाते हैं। जयेंद्र सरस्वती ने समाज के लिए काफी काम किए थे।
- जयेंद्र सरस्वती को वेदों का ज्ञाता माना जाता था। भारत के पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी भी इनके प्रशंसकों में से एक थे।
- जयेंद्र सरस्वती ने अयोध्या विवाद के हल के लिए भी पहल की थी। तब जयेंद्र सरस्वती को आलोचना का भी शिकार होना पड़ा था। लेकिन, उस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उनकी काफी प्रशंसा की थी।
-जयेंद्र सरस्वती ने 1983 में शंकर विजयेंद्र सरस्वती को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। उस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वहां एक भव्य समारोह में भाग लिया और अपने संबोधन में अयोध्या मसले के समाधान के लिए शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती की सराहना की थी।
-कांची मठ के मैनेजर शंकरारमन की हत्या के आरोप में 11 नवंबबर 2004 को जयेंद्र सरस्वती को गिरफ्तार भी किया गया था। उस समय जयललिता की ही सरकार थी। एक समय ऐसा था जब जयललिता जयेंद्र सरस्वती को अपना आध्यात्मिक गुरु मानती थीं।
- 27 नवंबर 2013 को शंकररमन मर्डर केस में पुडुचेरी की अदालत ने कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती, उनके भाई विजयेंद्र समेत सभी 23 आरोपियों को बरी कर दिया था।
- शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती सेंथिल नारायणन के मुताबिक मृतक शंकररमन की पत्नी सुनवाई के दौरान आरोपियों को पहचानने में सफल नहीं रहीं थीं। इसके अलावा इस मामले के कई गवाह बाद में गवाही से मुकर गए।
-जयेंद्र सरस्वती पृथक तेलंगाना राज्य को लेकर भी चर्चाओं में रहे थे।
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