नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के आर.जी. कर बलात्कार-हत्या मामले में दोषी संजय रॉय को सोमवार को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई। सियालदह कोर्ट के इस फैसले पर लोगों की राय बंटी हुई नजर आई। किसी ने इसे न्याय बताया तो किसी ने अधूरा न्याय बताया।
सियालदह कोर्ट के फैसले पर दिल्ली के डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉ. आकाश ने कहा, "हां, हम अब तक आए फैसले से बहुत असंतुष्ट हैं। हम शुरू से ही कह रहे हैं कि इस मामले में कई प्रभावशाली लोग शामिल हैं, और वे एक व्यक्ति को बलि का बकरा बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि दूसरे लोग न्याय से बच रहे हैं। अंत में यही हुआ - केवल एक व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा मिली। सबूत और चार्जशीट इतने मजबूत नहीं थे कि बाकी लोग पकड़े जाएं।"
उन्होंने कहा कि पहली फॉरेंसिक रिपोर्ट में पहले ही यह साबित हो गया था कि वह गैंगरेप था। पांच लोगों का डीएनए मिला था। इसके बावजूद एक ही आरोपी पकड़ा गया। उसी को उम्रकैद की सजा मिली। इससे हम लोग नाखुश हैं। हम लोगों ने निजी कार्य छोड़कर आंदोलन किया। महिला डॉक्टरों, कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया। सिर्फ इसलिए कि इस तरह की घटना दोबारा किसी महिला कर्मचारी के साथ न हो। आर.जी. कर घटना में हम न्याय की मांग कर रहे थे। हम लोग एक मजबूत कानून की मांग कर रहे थे। हम दोनों जगह से हार गए। हमारी सुरक्षा को लेकर न ही कोई ठोस कदम उठाया गया और न ही हमारी बहन को न्याय मिला। पीड़िता के परिजनों का भी यही कहना है कि इस केस में हाईप्रोफाइल लोग जुड़े हुए थे। उन्हें बचाने के लिए बलि का बकरा बना दिया गया।
वहीं, सियालदह कोर्ट के बार एसोसिएशन के सदस्य एडवोकेट राजेंद्र गुप्ता ने कहा है कि सीबीआई द्वारा दी गई रिपोर्ट सही रिपोर्ट नहीं है, यह सभी को बचाने के लिए दी गई रिपोर्ट है। इस घटना का मुख्य अपराधी पकड़ा नहीं गया है, यह सब एक साजिश है। सीबीआई ने किसी के प्रभाव में आकर यह रिपोर्ट दी है।
--आईएएनएस
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