नई दिल्ली, । राष्ट्रीय राजधानी में
यमुना के डूब क्षेत्र में रहने वाले झुग्गियों में रहने वालों को दिल्ली
उच्च न्यायालय ने बुधवार को तीन दिनों के भीतर अपनी झुग्गियां खाली करने का
निर्देश दिया है, नहीं तो उन्हें जुर्माना या प्रत्येक को 50,000 रुपये का
भुगतान करना होगा। दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) और डीडीए
विध्वंस के साथ आगे बढ़ेंगे।
दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने अदालत को बताया कि नेशनल ग्रीन
ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने यमुना के प्रदूषण स्तर पर ध्यान दिया था और 9 जनवरी
को एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था, जिसके बाद न्यायमूर्ति प्रतिभा
एम. सिंह ने आदेश पारित किया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
समिति का गठन करते समय एनजीटी ने
दिल्ली के उपराज्यपाल, जो संविधान के अनुच्छेद 239 के तहत डीडीए के अध्यक्ष
और दिल्ली के प्रशासक हैं, से समिति का नेतृत्व करने का अनुरोध किया था।
27
जनवरी को उच्चस्तरीय समिति ने नदी के प्रदूषण को नियंत्रित करने और यमुना
बाढ़ के मैदानों पर अतिक्रमण हटाने के लिए तत्काल कदम उठाने के निर्देश
पारित किए।
कोर्ट ने रेजिडेंट्स की याचिका को खारिज करते हुए पुलिस को सख्त कार्रवाई करने की इजाजत दी।
अदालत ने निर्देश दिया, क्षेत्र के संबंधित पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) उक्त कार्रवाई के दौरान सभी सहायता प्रदान करेंगे।
डीडीए की वकील प्रभसहाय कौर ने कहा कि दो बार अतिक्रमण हटाया जा चुका है, लेकिन निवासी फिर से उसी स्थान पर आ जाते हैं।
पीठ
ने राजघाट के बेला एस्टेट में यमुना बाढ़ के मैदानों पर स्थित मूलचंद
बस्ती के निवासियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील से पूछा, क्या आप जानते
हैं कि यमुना को कितना नुकसान हो रहा है, आप इस पर कब्जा कर रहे हैं?
निवासियों
ने एक याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया है कि अगस्त 2022 में दिल्ली
पुलिस और डीडीए के अधिकारियों ने उन्हें अपनी झुग्गियों को खाली करने की
धमकी दी, अन्यथा उन्हें ध्वस्त कर दिया जाएगा।
यह कहते हुए कि
डीयूएसआईबी ने अपने हलफनामे में कहा है कि चूंकि 'बस्ती' उसकी अधिसूचित
सूची में नहीं है, निवासी पुनर्वास के हकदार नहीं थे, अदालत ने डीडीए को
तीन दिनों के बाद विध्वंस के साथ आगे बढ़ने का निर्देश दिया।
अदालत
ने यह कहते हुए अवमानना याचिका का भी निस्तारण कर दिया कि वे अधिकारियों को
धमकाने के लिए अवमानना की कार्यवाही का उपयोग नहीं कर सकते हैं और कोई
अवमानना नहीं है।
--आईएएनएस
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