नई दिल्ली। पश्चिमी विक्षोभ के चलते हुई बारिश के कारण बढ़ी ठंड से जहां आमजन-जीवन प्रभावित हुआ है वहीं रबी सीजन की प्रमुख तिलहन फसल सरसों पर भी सर्दी ने कहर ढाया है। सर्दी के सितम से सरसों में गलन रोग लग गया है, जिससे पौधों में विकृति आ गई है और पौधों में स्टैग हेड बनने लगे हैं। कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि सरसों की फसल में स्क्लेरोटिनिया स्केरोशियोरम यानी तना गलन रोग की शिकायतें मिल रही हैं जो ठंड बढ़ने के कारण लगा है। वैज्ञानिकों की माने तो तो सरसों पर सर्दी का सितम अगर आगे भी इसी तरह जारी रहा तो फसल खराब हो सकती है जिससे उत्पादन पर असर पड़ सकता है।
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भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के तहत आने वाले राजस्थान के भरतपुर स्थित सरसों अनुसंधान निदेशालय के कार्यकारी निदेशक पी.के. राय ने आईएएनएस को बताया कि बारिश से सरसों की फसल में तना गलन रोग का प्रकोप बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि सरसों पर जगह-जगह सफेद रतुआ (व्हाइट रस्ट) का प्रकोप पहले से ही बना हुआ है और अब तना गलन रोग की भी शिकायतें मिल रही है।
गौरतलब है कि पश्चिमी विक्षोभ के कारण बारिश होने से तापमान में गिरावट आई है। मौसम पूर्वानुमानकर्ता स्काइमेट की बुधवार की रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में न्यूनतम तापमान 2 से 3 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया। हालांकि महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और विदर्भ में कई स्थानों पर न्यूनतम तापमान में 1 से 2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई। जबकि तेलंगाना के अधिकांश हिस्सों सहित गुजरात में 1-2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई। दिल्ली, उत्तरी राजस्थान, हरियाणा व पंजाब और उत्तर प्रदेश में घने कोहरे का प्रभाव देखने को मिली।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा पिछले सप्ताह जारी बुवाई के आंकड़ों के अनुसार, चालू रबी बुवाई सीजन में देशभर में अब तक सरसों की खेती 68.98 लाख हेक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले करीब 31,000 हेक्टेयर कम है। हालांकि रबी सीजन की सभी तिलहन फसलों का रकबा भी पिछले साल से 8,000 हेक्टेयर बढ़कर 79.25 लाख हेक्टेयर हो गया है।
कृषि मंत्रालय द्वारा फसल वर्ष 2018-19 (जुलाई-जून) के लिए जारी चौथे अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार, पिछले साल साल देश में 93.39 लाख टन हुआ था। देश में सरसों की खेती मुख्य रबी सीजन में ही होती है और मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरसों के मुख्य उत्पादक राज्य हैं। इसके अलावा, बिहार और बंगाल समेत अन्य राज्यों में भी सरसों की खेती होती है। (आईएएनएस)
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