देहरादून। उत्तराखंड में अब बच्चों की पढ़ाई सिर्फ किताबों तक ही सीमित नहीं रहने वाली है। उन्हें ज़िंदगी में आगे बढ़ने के लिए ज़रूरी हुनर सिखाने की तैयारी चल रही है। इसी सिलसिले में देहरादून में तीन दिन की एक खास ट्रेनिंग हुई, जिसका नाम था 'कौशलम् राज्य संदर्भ समूह कार्यशाला'। ये ट्रेनिंग राज्य के शिक्षा विभाग (एससीईआरटी) और उद्यम लर्निंग फाउंडेशन ने मिलकर करवाई।
इस ट्रेनिंग में उत्तराखंड के हर जिले के टीचर ट्रेनिंग कॉलेज (डीआईईटी) से कुछ खास टीचर और एससीईआरटी के लोग शामिल हुए। उन्हें नौवीं से बारहवीं क्लास के बच्चों के लिए नया 'कौशलम्' कोर्स सिखाया गया। अब ये मास्टर ट्रेनर बनकर दूसरे टीचरों को भी ये सब सिखाएंगे। तीन दिन की इस ट्रेनिंग में टीचर्स को बताया गया कि हर क्लास के कोर्स का क्या मतलब है और उन्हें खूब प्रैक्टिस भी कराई गई: 9वीं क्लास: इसमें बच्चों को अपने स्कूल की दिक्कतों को पहचानकर उन्हें दूर करना सिखाया गया। 10वीं क्लास: बच्चों ने अलग-अलग तरह के करियर के बारे में जाना और अपनी पसंद और ताकत को पहचाना। 11वीं क्लास: बच्चों ने ऐसे बिजनेस के बारे में सोचा जो लोगों, धरती और मुनाफे, तीनों का ध्यान रखे। 12वीं क्लास: बच्चों ने अपनी पसंद से कोई भी प्रोजेक्ट बनाया।
ये सारी ट्रेनिंग ऐसी थी कि मास्टर ट्रेनर सिर्फ इन कोर्स को समझें ही नहीं, बल्कि खुद भी करके देखें कि दिक्कतें कैसे हल होती हैं, करियर कैसे खोजते हैं, बिजनेस कैसे सोचते हैं और अपनी पसंद का काम कैसे करते हैं। टीचर्स और ट्रेनर्स सिर्फ सीखने नहीं आए थे, बल्कि वो पढ़ाई के पुराने तरीके को बदलकर बच्चों के साथ नए तरीके से जुड़ने की शुरुआत भी कर रहे थे।
एससीईआरटी ने इस ट्रेनिंग को कराने में सबसे बड़ा रोल निभाया, वहीं उद्यम लर्निंग फाउंडेशन ने भी खूब मदद की। इनका मकसद यही है कि पढ़ाई सिर्फ किताबों तक सीमित न रहे, बल्कि बच्चों को ज़िंदगी में काम आने वाली चीजें भी सिखाई जाएं। ट्रेनिंग के पहले दिन बड़े-बड़े शिक्षाविद आए। एससीईआरटी उत्तराखंड के बड़े अफसर पदमेंद्र शकलानी ने सबको 'कौशलम्' प्रोग्राम का मतलब समझाया और कहा कि इसे ज़मीन पर अच्छे से लागू करना बहुत ज़रूरी है।
उन्होंने टीचर्स को तीन दिन तक इस कोर्स को अच्छे से समझने के लिए कहा, ताकि बच्चों को इसका फायदा मिल सके।
एससीईआरटी के एक और अफसर के. एन. बिजल्वाण ने कहा कि हमें ऐसे टीचर और स्कूल बनाने हैं जो बच्चों को बिजनेस करना सिखाएं और हर जिले में छोटे-छोटे बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए दूसरे विभागों से भी मिलकर काम करना होगा।
'कौशलम्' प्रोग्राम के हेड सुनील भट्ट ने कहा कि ये ट्रेनिंग सिर्फ सीखना-सिखाना नहीं है, बल्कि उत्तराखंड में पढ़ाई को बदलने की एक बड़ी शुरुआत है। हर क्लास में बच्चों को अलग-अलग चीजें सिखाई जा रही हैं, जैसे कहीं दिक्कतें हल करना, कहीं करियर खोजना, तो कहीं नया सोचना और अपनी बात रखना। इससे टीचर्स भी अपना रोल नए तरीके से देख पा रहे हैं।
उद्यम लर्निंग फाउंडेशन के हेड रोहित गुप्ता ने कहा कि 'कौशलम्' एक बहुत अच्छा प्रोग्राम है, जो पढ़ाई को नौकरी और ज़िंदगी से जोड़ता है। ये ट्रेनिंग आने वाले समय में उत्तराखंड के लिए बहुत बड़ी कामयाबी साबित होगी।
अब ये मास्टर ट्रेनर आगे चलकर दूसरे टीचरों को ट्रेनिंग देंगे, ताकि वो अपने जिलों में टीचर्स के लिए अच्छे और मज़ेदार सेशन कर सकें। ये सिर्फ जानकारी देना नहीं है, बल्कि पढ़ाई में बदलाव की शुरुआत है, जहाँ टीचर खुद इस बदलाव को लाने वाले बनेंगे।
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