पूर्व महान्यायवादी मुकुल रोहतगी ने कहा, ‘‘राजनीतिज्ञों को इस विवाद में
कूदने का कोई अधिकार नहीं है। संस्थान के अंदर कुछ छोटे-मोटे कलह को
संस्थान के अंदर ही सुलझाया जा सकता है।’’ उन्होंने कहा कि येचुरी का कदम ‘अपमानजनक’ है और इसकी निंदा किए जाने की जरूरत है।
वरिष्ठ
वकील के.वी. विश्वनाथन ने येचुरी के बयान को हास्यास्पद बताया। उन्होंने
कहा कि इस बयान से लोगों की नजरों में न केवल न्याय प्रणाली को कमतर कर
आंका गया, बल्कि लोकतंत्र को अपूरणीय क्षति पहुंचाने का प्रयास किया गया। इससे
पहले येचुरी ने कहा था, ‘‘हम लोग आगे बढ़ रहे हैं। जब 29 जनवरी को संसद
सत्र शुरू होगा, मामला बिल्कुल स्पष्ट है। हम लोग महाभियोग लाने की तरफ
बढ़ेंगे।’’
अन्य राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे पर अबतक कोई टिप्पणी नहीं की है।
--आईएएनएस
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