नई दिल्ली। भारतीय मुस्लिम समुदाय में सैकड़ों वर्ष से प्रचलित तीन बार तलाक बोलकर एक झटके में निकाह तोडऩे वालों से मोदी सरकार अब सख्ती से निपटेगी। तीन तलाक पर रोक के लिए केंद्र सरकार कानून बनाने पर विचार कर रही है। मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक मोदी सरकार शीतकालीन सत्र में तीन तलाक पर रोक लगाने के लिए विधेयक पेश कर सकती है। पिछले दिनों ही सुप्रीम कोर्ट ने एक साथ तीन तलाक पर रोक लगाते हुए सरकार को कानून बनाने की सलाह दी थी। तत्कालीन चीफ जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस नजीर ने अल्पमत में दिए फैसले में कहा था कि तीन तलाक धार्मिक प्रैक्टिस है, इसलिए कोर्ट इसमें दखल नहीं देगा।
हालांकि दोनों जजों ने माना कि यह पाप है, इसलिए सरकार को इसमें दखल देना चाहिए और तलाक के लिए कानून बनना चाहिए। दोनों ने कहा कि तीन तलाक पर छह महीने का स्टे लगाया जाना चाहिए, इस बीच में सरकार कानून बना ले और अगर छह महीने में कानून नहीं बनता है तो स्टे जारी रहेगा। खेहर ने यह भी कहा कि सभी पार्टियों को राजनीति को अलग रखकर इस मामले पर फैसला लेना चाहिए। पूरी दुनिया में मुस्लिम पर्सनल लॉ में हुए संशोधनों का उदाहरण देते हुए न्यायमूर्ति खेहर ने केंद्र सरकार से तलाक-ए-बिदत पर खासतौर पर उचित कानून बनाने पर विचार करने का निर्देश दिया।
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