जाने क्या था फूड पार्क का मुद्दा? [# कमिशन पर अभी भी बदले जा रहे हैं 500-1000 के पुराने नोट, 15 लाख बरामद]
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल
गांधी के संसदीय क्षेत्र अमेठी में 200 करोड़ रुपए के फूड पार्क प्रोजेक्ट
को 2010 में मंजूरी मिली थी। उम्मीद थी कि इस फूड पार्क से अमेठी में बड़ा
निवेश आएगा। इलाके के 40 हजार युवाओं को रोजगार मिलेगा। बताया जाता है कि
मेसर्स शक्तिमान मेगा फूड पार्क प्राइवेट लिमिटेड से यह मंजूरी जून 2014
में वापस ले ली गई। राहुल ने आरोप लागाया कि मोदी सरकार ने बदले की राजनीति
के तहत प्रोजेक्ट रद्द कर दिया। वहीं, मोदी सरकार का कहना था कि यूपीए
सरकार के समय ही इस प्रोजेक्ट को 8 एक्सटेंशन मिले, लेकिन यह कभी भी अमल
होने लायक नहीं पाया गया। लोगों को गुमराह करने के लिए यूपीए सरकार ने
अक्टूबर 2013 में वहां फूड पार्क का शिलान्यास कार्यक्रम कराया।
निराश हुए थे अमेठी के लोग
जब
मोदी सरकार ने फूड पार्क योजना को हमेशा के लिए फाइलों में बंद कर दिया
था, तो अमेठी के लोगों को काफी निराशा हुई थी। उनका कहना था कि इससे न
सिर्फ हजारों लोगों के रोजगार का रास्ता बंद हो जाएगा, बल्कि अमेठी का
विकास भी रुक जाएगा।
गठबंधन सरकार बनने पर देगें रोजगार
कांग्रेस
उपाध्यक्ष ने कहा कि रोजगार बड़े उद्योगपति नहीं देते हैं। छोटे दुकानदार,
छोटे उद्योग देते हैं, लेकिन मोदी जी इन्हें खत्म कर दिया है। मोदी जी ने
इन्हे मार दिया है। हमारी गठबन्धन सरकार बनने पर हम युवाओं को चुन-चुनकर
रोजगार देंगे। उन्होंने कहा कि कानपुर में चमड़े की इण्स्ट्री है,ऐसे सभी
स्थानों पर लोगों को लोन देंगे, जिससे वह स्वरोजगार कर सकेंगे और दूसरे
लोगों को भी नौकरी मिलेगी।
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