कोलकाता। कृतज्ञ राष्ट्र आज स्वाधीनता संग्राम के वीर सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती धूमधाम से मना रहा है। कोलकाता के एल्गिन रोड स्थित नेताजी के पैतृक आवास पर आज भी 1937 मॉडल की वह खूबसूरत जर्मन वांडरर सीडान कार खड़ी है जो सुभाष चंद्र बोस के गुप्त तरीके से जर्मनी पहुंचने की मूक साक्षी रही है। बोस वर्ष 1941 में एल्गिन रोड से फरार होकर झारखंड के गोमोह रेलवे स्टेशन पहुंचे थे और यहां से वह जर्मनी 'पलायन' कर गए थे।
बहरहाल, नेताजी रिसर्च ब्यूरो की पहल पर कार बनाने वाली प्रमुख कंपनी ऑडी ने इस सीडान कार को 1941 वाला पुराना मनोहारी लुक दिया है।
वर्ष 2017 में पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने जर्मन वांडरर सीडान कार का अनावरण किया था। अपने एल्गिन रोड आवास से 'पलायन' के लिए बोस ने इस कार का इस्तेमाल किया था।
अंग्रेजों ने बोस को उनके ही घर पर उन्हें नजरबंद कर दिया था। वे उनपर पैनी नजर रखे हुए थे, लेकिन फिर भी बोस उनकी आंखों में धूल झोंककर फरार होने में कामयाब हो गए।
खबरों के मुताबिक, 1941 में 16 और 17 जनवरी की मध्यरात्रि को अपने भतीजे शिशिर कुमार बोस के साथ कोलकाता से फरार हुए थे। मोहम्मद जियाउद्दीन बनकर बोस सामने वाली सीट पर बैठे थे, जबकि शिशिर बोस कार चला रहे थे।
40 लीटर ईंधन क्षमता वाली इस कार में 1767 सीसी की इंजन लगी है और इसकी अधिकतम गति सीमा 108 किमी प्रति घंटा तक है। उपलब्ध सूचना के मुताबिक, ऐसा कहा जाता है कि नेताजी ऑडी कार रखने वाले देश के पहले व्यक्ति थे।
--आईएएनएस
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