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बाल विवाह पीड़ितों के लिए काउंसलिंग और प्रशिक्षण कार्यक्रम

Counselling and training programmes for victims of child marriage - Tonk News in Hindi

टोंक। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण टोंक ने बाल विवाह पीड़ितों के लिए काउंसलिंग और व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया। यह कार्यक्रम नालसा की योजना 'आशा' के तहत हुआ। इसका उद्देश्य बाल विवाह पीड़ितों को मानसिक, शैक्षिक और व्यावसायिक रूप से सशक्त बनाना है। कार्यक्रम की अध्यक्षता अपर जिला न्यायाधीश दिनेश कुमार जलुथरिया ने की।

जिला प्रशासन के सहयोग से उन बालक-बालिकाओं के लिए यह कार्यक्रम रखा गया, जिनके बाल विवाह रोके गए थे। मनोचिकित्सक, विशेषज्ञ डॉक्टर, कौशल प्रशिक्षक, बाल कल्याण समिति के सदस्य, बैंक प्रतिनिधि, शिक्षा अधिकारी और अन्य विभागों के प्रतिनिधियों ने पीड़ितों की काउंसलिंग की। उन्हें व्यावसायिक और कौशल प्रशिक्षण भी दिया गया।
न्यायाधीश जलुथरिया ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह पहल पीड़ितों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में एक मजबूत कदम है। मनोचिकित्सक योगेश कुमार ने पीड़ितों की मानसिक स्थिति का विश्लेषण किया। उन्होंने व्यक्तिगत साक्षात्कार, मनोवैज्ञानिक परीक्षण और व्यवहारिक आकलन के जरिए यह कार्य किया।
व्यावसायिक प्रशिक्षक आनंद शर्मा ने मुख्यमंत्री युवा रोजगार संबल योजना सहित अन्य प्रशिक्षण कार्यक्रमों की जानकारी दी। बाल कल्याण समिति की सदस्य शेफाली जैन ने देखरेख, संरक्षण और पुनर्वास की जानकारी दी। बैंक प्रतिनिधि अनुराग जैन ने वित्तीय सहायता, ऋण योजनाओं और सरकारी अनुदान की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पीड़ित परिवार बैंकिंग संस्थानों से जुड़कर आर्थिक रूप से सशक्त हो सकते हैं।
मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी सुशीला करनानी ने शिक्षा से जुड़ी योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने ट्रांसपोर्ट वाउचर, साइकिल वितरण, स्कूटी वितरण और लाडो प्रोत्साहन योजना की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शिक्षा के माध्यम से आत्मनिर्भरता संभव है। उन्होंने करियर काउंसलिंग भी दी।
राजकीय महाविद्यालय के आचार्य डॉ. के.एल. बैरवा और महिला महाविद्यालय के आचार्य दिनेश चौधरी ने उच्च शिक्षा के लाभ बताए। उन्होंने छात्रवृत्ति, वित्तीय सहायता और शिक्षा ऋण की जानकारी दी। चीफ एलएडीसी रमेश शर्मा और सहायक एलएडीसी बेणीप्रसाद गुर्जर ने कानूनी सहायता और अधिकारों की जानकारी दी। उन्होंने बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 और बाल संरक्षण अधिनियम की जानकारी दी।
जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक नवल खान ने बताया कि बाल विवाह का असर केवल पीड़ितों पर नहीं, पूरे समाज पर पड़ता है। कार्यक्रम में महिला एवं बाल विकास विभाग की शगुफ्ता बेगम, परामर्शदाता आशा शास्त्री, केंद्र प्रबंधक अरुणा शर्मा, अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी चौथमल चौधरी और शारदा सहित कई विशेषज्ञ शामिल हुए।

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Web Title-Counselling and training programmes for victims of child marriage
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