नई दिल्ली। कुदरत की गोद में छिपे खजाने की बात कुछ और ही होती है। आयुर्वेद में कई जड़ी-बूटियों ने सदियों से मनुष्यों के स्वास्थ्य की सरंक्षा और संवर्धन किया है। एक ऐसे ही खास औषधीय गुणों से युक्त पौधा है- चक्रमर्द या चकवड़। इसका वैज्ञानिक नाम कैसिया ऑरिक्युलेटा है।
चक्रमर्द के (10 ग्राम) बीजों को छाछ में 8 दिन तक भिगोकर रखने के बाद, उसे पीसकर (5 ग्राम) हल्दी और (5 ग्राम) बावची के साथ मिलाकर लेप बनाकर लगाने से सफेद दाग, दाद, खाज और खुजली जैसी पुरानी समस्याओं को खत्म किया जा सकता है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
चक्रमर्द के पत्ते, फूल और बीज रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। जो लोग नियमित रूप से इसका काढ़ा या चूर्ण लेते हैं, उन्हें इंसुलिन के स्तर में स्थिरता मिलती है। चक्रमर्द की पत्तियां और बीज पाचन तंत्र को भी मजबूत करते हैं। यह पाचन एंजाइम्स के स्तर को बढ़ाता है और भोजन के बेहतर अवशोषण में मदद करता है, जिसकी वजह से पेट में न दर्द होता है न गैस की समस्या रहती है।
इसके पत्तों का पेस्ट त्वचा पर लगाने से एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण त्वचा को साफ और चमकदार बनाते हैं, जिससे मुंहासे, फोड़े-फुंसी या घाव को ठीक किया जा सकता है। इसके बीज और पत्तियां मूत्र प्रणाली (यूरिनरी सिस्टम) को संतुलित करती हैं और संक्रमण से बचाव करती हैं। इस आयुर्वेदिक पत्ते का इस्तेमाल करने से बार-बार पेशाब आना या मूत्र में जलन जैसे समस्याओं का समाधान आसानी से हो पाता है।
चक्रमर्द लीवर की कार्यक्षमता को बढ़ाता है और विषैले तत्वों को बाहर निकालने का काम करता है। जो लोग नियमित रूप से भोजन में अधिक तेल का इस्तेमाल करते हैं, उनके लिए यह बेहद लाभदायक साबित होता है। इस पौधे में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट शरीर को संक्रमण से लड़ने में ताकत देता है।
बदलते मौसम में सर्दी-जुकाम से परेशान लोग इसका काढ़ा बनाकर पीते हैं, जिससे उनकी इम्यूनिटी बूस्ट होती है। कुछ जगहों पर चक्रमर्द के पत्तों का लेप त्वचा की रंगत को साफ करने में भी इस्तेमाल होता है, जिसकी वजह से त्वचा में निखार आता है। इसलिए इसे 'देसी ग्लो' के नाम से भी जाना जाता है।
--आईएएनएस
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