• Aapki Saheli
  • Astro Sathi
  • Business Khaskhabar
  • ifairer
  • iautoindia
1 of 1

देवशयनी एकादशी आज: जानिए व्रत की पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त, पारण का समय और धार्मिक महत्व

Devshayani Ekadashi Today Puja Vidhi, Auspicious Timings, Parana Time and Significance Explained - Puja Path in Hindi

आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसे देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है, इस वर्ष 6 जुलाई 2025, रविवार को पड़ रही है। इस दिन से चातुर्मास का शुभ आरंभ होता है—एक ऐसा आध्यात्मिक समयकाल जो ध्यान, पूजा, व्रत और धार्मिक अनुशासन का प्रतीक होता है। इसी दिन से भगवान विष्णु क्षीर सागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं और चार महीने बाद देवउठनी एकादशी को पुनः जागते हैं। आइए जानें इस पावन तिथि का महत्व, पूजा विधि, व्रत का पारण समय और इससे जुड़े आवश्यक विवरण।
देवशयनी एकादशी का महत्व

देवशयनी एकादशी को हरिशयनी और पद्मा एकादशी भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और विधिपूर्वक पूजन करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान विष्णु की आराधना से न केवल सांसारिक सुख-संपत्ति मिलती है, बल्कि व्यक्ति की मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं।

इस एकादशी से चातुर्मास आरंभ होता है, जो कि धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र समय माना जाता है। इस अवधि में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, सगाई जैसे मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं। देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठनी एकादशी (2 नवंबर 2025) तक सभी शुभ कार्य रोक दिए जाते हैं।

व्रत तिथि एवं शुभ मुहूर्त


• एकादशी तिथि प्रारंभ: 5 जुलाई 2025, शाम 6:58 बजे

• एकादशी तिथि समाप्त: 6 जुलाई 2025, रात 9:14 बजे

• व्रत पारण समय: 7 जुलाई 2025 को सुबह 5:29 बजे से 8:16 बजे तक

देवशयनी एकादशी की पूजा विधि


इस दिन व्रत रखने के साथ-साथ भगवान विष्णु की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। पूजा की प्रक्रिया निम्नलिखित है:

1. स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

2. घर के मंदिर को स्वच्छ कर दीप प्रज्वलित करें।

3. भगवान विष्णु को गंगाजल से स्नान कराएं।

4. चंदन, पुष्प, तुलसी दल, अक्षत आदि अर्पित करें।

5. सात्विक भोग लगाएं जिसमें तुलसी का अवश्य समावेश हो।

6. व्रत रख सकें तो पूरे दिन निर्जल या फलाहारी उपवास करें।

7. भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की संयुक्त पूजा करें।

8. आरती, मंत्र-जप और ध्यान द्वारा दिन भर भक्ति भाव बनाए रखें।

पूजा सामग्री की सूची

—भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र

—पुष्प (विशेषकर कमल या गेंदा)

—नारियल, सुपारी

—फल, मिष्ठान

—धूप, दीप, घी

—पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, गंगाजल)

—चंदन, अक्षत

—तुलसी दल

—लौंग

देवशयनी एकादशी केवल एक व्रत नहीं, बल्कि पूरे चातुर्मास के शुभारंभ की प्रतीक होती है। यह व्रत आत्मशुद्धि, ईश्वर भक्ति और मनोकामना पूर्ति का माध्यम है। जो व्यक्ति श्रद्धा और निष्ठा के साथ इस दिन व्रत करता है, उसे न केवल सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है, बल्कि मोक्ष के मार्ग पर भी उसका अग्रसर होना सुनिश्चित माना गया है।

इस दिन विशेष रूप से ध्यान रखें कि भोग में केवल सात्विक वस्तुएं ही अर्पित करें और तुलसी दल के बिना भगवान विष्णु को भोग न लगाएं।

ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे

यह भी पढ़े

Web Title-Devshayani Ekadashi Today Puja Vidhi, Auspicious Timings, Parana Time and Significance Explained
खास खबर Hindi News के अपडेट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक और ट्विटर पर फॉलो करे!
(News in Hindi खास खबर पर)
Tags: devshayani ekadashi 2025, devshayani ekadashi puja vidhi, ekadashi parana time, devshayani ekadashi muhurat, ashadi ekadashi vrat, harishayani ekadashi date, chaturmas 2025 start, hindu religious calendar 2025, auspicious days hinduism, vishnu worship rituals, astrology in hindi
Khaskhabar.com Facebook Page:

जीवन मंत्र

आपका राज्य

Traffic

जीवन मंत्र

Daily Horoscope

वेबसाइट पर प्रकाशित सामग्री एवं सभी तरह के विवादों का न्याय क्षेत्र जयपुर ही रहेगा।
Copyright © 2025 Khaskhabar.com Group, All Rights Reserved