नई दिल्ली । हरसिंगार, जिसे पारिजात या ‘रात की रानी’ के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐसा औषधीय वृक्ष है जो कई समस्याओं से लड़ने में हमारी मदद करता है। आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा में इसे विशेष महत्व दिया जाता है। इसके फूल, पत्ते और फल कई रोगों के उपचार में उपयोग किए जाते हैं।
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आयुष मंत्रालय के अनुसार, पारिजात या हरसिंगार आयुर्वेद का अमूल्य खजाना है, जो सर्दी-जुकाम से लेकर दर्द और सूजन तक हर समस्या से छुटकारा दिलाता है, और पारिजात के औषधीय गुण सेहत को बेहतर बनाने में मददगार होते हैं।
इसके पत्तों, फूलों और फलों का उपयोग पाउडर, लेप या काढ़े के रूप में किया जाता है। हरसिंगार के पत्ते ऑस्टियोआर्थराइटिस जैसी समस्याओं को दूर करने में कारगर हैं। यह वात दोष को संतुलित कर जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करता है। इसके पत्तों का पाउडर हर्बल उपचार के रूप में प्रभावी है।
हरसिंगार में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व सूजन को कम करते हैं और बीमारियों के जोखिम को घटाते हैं। हरसिंगार एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है, जो ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम कर एजिंग प्रक्रिया को धीमा करता है और कोशिकाओं को नुकसान से बचाता है। हरसिंगार अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी सांस की समस्याओं में राहत देता है।
हरसिंगार का पेस्ट एग्जिमा और सोरायसिस जैसी त्वचा समस्याओं के इलाज में प्रभावी है।
औषधीय गुणों से भरपूर पारिजात, हरसिंगार या शेफालिका को आयुर्वेद में स्वास्थ्य का खजाना माना जाता है। आयुर्वेदाचार्य भी बताते हैं कि माइग्रेन का स्थायी इलाज नहीं है, मगर इसके पत्तों से बने काढ़े को पीकर राहत मिल सकती है।
पारिजात में न केवल माइग्रेन, हड्डियों के दर्द से निजात दिलाने का गुण होता है बल्कि सर्दी-जुकाम, बुखार के लिए भी यह रामबाण माना जाता है। चिकित्सकों के मुताबिक, आयुर्वेद में पारिजात का महत्वपूर्ण स्थान है। इसके पत्ते, फूल, छाल औषधि के रूप में उपयोग किए जाते हैं।
इस फूल के पत्तों से बना काढ़ा सर्दी-जुकाम के इलाज में रामबाण माना जाता है और यह एलर्जी से मुक्ति भी दिलाता है। जोड़ों के दर्द, त्वचा रोग और अनिद्रा में भी लाभकारी है। पारिजात के पत्तों से बनी चाय रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी मदद करती है। अस्थमा और सांस संबंधी समस्याओं से जूझ रहे मरीजों के लिए पारिजात काफी लाभदायी रहा है।
--आईएएनएस
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