धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश भाजपा के महामंत्री कृपाल परमार ने कहा है कि कांग्रेस की अंदरूनी कलह लोकसभा चुनाव में हारती हुई पार्टी के ताबूत में मजबूत कील साबित हो रही है। मण्डी में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आंनद शर्मा और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखविन्द्र सिंह सूख्खु द्वारा मंच से वाॅक आउट किए जाने के बाद अब कांगड़ा में भी पार्टी की लड़ाई सार्वजनिक हो रही है। धर्मशाला में कांग्रेस की जनसभा में पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ नेता जीएस बाली ने अपने अपमान की दास्तान मंच से खुद बयान कर दी।
कृपाल परमार ने कहा कि बाली को कांग्रेस प्रत्याशी पवन काजल का नामांकन भरने के लिए बुलाया ही नहीं गया था। यही नहीं दाड़ी के मेला ग्राउंड़ में जनसभा में बाली को मंच पर उचित एवं सम्मानपूर्ण जगह नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि बाली को नाम के लिए कांग्रेसी की चुनाव प्रचार कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह एवं पंजाब कांग्रेस की प्रभारी आशा कुमारी मंच से जीएस बाली का नाम लेना तक भूल गए। बाद में दोनों ने याद दिलाए जाने पर उनका नाम लिया। इसी से पता चलता है कि कांगड़ा के वरिष्ठ कांग्रेस नेता बाली का कद् पार्टी में घटा दिया गया है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस खेमेबाजी में बुरी तरह से फंसी हुई है। राजस्थान से राज्यसभा सदस्य आनंद शर्मा का गुट दूसरे गुट के सीधे नीशाने पर है। यही वजह है कि पूर्व मुख्यमंत्री ने सुखविन्द्र सिंह सुख्खु को जब मण्डी के मंच पर “गन्द“ बताया तो पार्टी का घमासान एक बार फिर जगजाहिर हो गया। तब आनंद शर्मा और सुख्खु इसके विरोध में मंच छोड़कर चले गए थे। ऊना के हरोली से विधायक मुकेश अग्निहोत्री भी सुखविन्द्र सिंह सुख्खु और आनंद शर्मा के खिलाफ पार्टी के भीतर मोर्चा संभाले हुए है।
परमार का कहना है कि कांग्रेस पार्टी में एक वर्ग पूर्व सांसद एवं शिमला से उम्मीदवार धनीराम शांडिल एवं पंडित सुखराम को हिमाचल विकास कांग्रेस की स्थापना करने के कारण “पूराना पापी“ बता रहा है। उधर हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व मंत्री रामलाल ठाकुर के खिलाफ पार्टी के भीतर खेमेबाजी अपने चरम पर है। ऐसे में भाजपा के मुकाबले में कांग्रेस के चारों उम्मीदवार कहीं नहीं टिक रहे हैं। पार्टी के नेता अपने उम्मीदवारों को ही सार्वजनिक रूप से अपमानित करके हराने में जुटे हैं। उन्होंने कहा कि देश भर में चल रही मोदी लहर और सवा साल पुरानी जयराम ठाकुर सरकार की जनहितैषी नीतियों के कारण भाजपा प्रत्याशियों की स्थिति पहले से ही मजबूत है। कांग्रेस की अंदरूनी घमासान ने भाजपा की जीत को और आसान बना दिया है।
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