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तलाक मंजूर करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- भावनाओं के आदान-प्रदान के बिना शादी महज एक कानूनी बंधन

Granting the divorce, the Delhi High Court said that without the exchange of feelings, marriage is just a legal bond - Delhi News in Hindi

नई दिल्ली । दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महिला को तलाक की मंजूरी देते हुए कहा कि भावनाओं के आदान-प्रदान के बिना विवाह महज एक कानूनी बंधन है।

न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने 3 दिसंबर के आदेश में कहा, ऐसा नहीं है कि हर शादी, जहां युगल (कपल) काम या अन्य दायित्वों के लिए सहमति से एक-दूसरे से अलग रहते हैं, टूटी हुई है।

अदालत ने कहा कि विवाह का उद्देश्य दो आत्माओं को एक साथ लाना है, जो जीवन नामक साहसिक यात्रा पर निकलती हैं। वे अनुभव, मुस्कान, दुख, उपलब्धियों और संघर्षों को साझा करते हैं। वे अपनी भावनात्मक, मानसिक और शारीरिक उपस्थिति से सभी स्थितियों में एक दूसरे का उत्थान और समर्थन करते हैं। जीवन की इस यात्रा में, वे व्यक्तिगत, सामाजिक और आध्यात्मिक बंधन, चिरस्थायी यादें, भविष्य की योजनाएं बनाते हैं, जिसके माध्यम से वे समाज में सह-अस्तित्व में रहते हैं।

हाईकोर्ट ने कहा कि शादी का एक अनिवार्य पहलू शारीरिक और भावनात्मक रूप से एक-दूसरे के जीवन में मौजूद होना है। यह कहना नहीं है कि हर शादी, जहां जोड़े काम या अन्य दायित्वों के लिए एक-दूसरे से अलग रहते हैं, एक टूटी हुई शादी है। हालांकि, एक शादी जहां न तो भावनाओं का आदान-प्रदान होता है, न ही सपनों, खुशियों, दुखों, यादों (खुश या उदास) को साझा किया जाता है, केवल एक कानूनी बंधन है।

अदालत ने नोट किया कि वर्तमान मामले में, कनाडा में रहने वाला पति और भारत में रहने वाली पत्नी अपनी शादी के पूरे 11 वर्षों के दौरान कभी भी किसी भी महत्वपूर्ण अवधि में एक साथ नहीं रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि पति ने अपने साथी के साथ विदेशी पत्नी के रूप में व्यवहार किया और केवल उसे एक अस्थायी साथी के रूप में इस्तेमाल किया।

दरअसल महिला ने फैमिली कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए कहा कि उनका 2010 में आर्य समाज मंदिर जिला बागपत, यूपी में हुआ था। उसका पति शादी के बाद से ही अधिकतर कनाडा रहता है। विवाह के बाद पति कनाडा चला गया और कई साल बाद कुछ दिन के लिए भारत आया। उसके साथ घूमने के बाद वापस कनाडा चला जाता था। आरोप है कि इस दौरान पति उसका मानसिक और यौन शोषण करता था।

34 वर्षीय महिला एक बहुराष्ट्रीय (एमएनसी) कंपनी में नौकरी करती है।

महिला की वर्तमान अपील फैमिली कोर्ट के एक पुराने आदेश के खिलाफ थी, जिसने क्रूरता के आधार पर पति से तलाक के लिए उसके आवेदन को खारिज कर दिया था।

इस जोड़े ने 2010 में उत्तर प्रदेश के बागपत में आर्य समाज मंदिर में हिंदू रीति-रिवाजों और समारोहों के अनुसार शादी की थी। शादी के बाद उन्हें अभी तक कोई बच्चा भी नहीं है।

--आईएएनएस

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